लाइव न्यूज़ :

तेल की बढ़ती कीमतें अर्थव्यवस्था के लिए खतरा

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: July 10, 2018 09:16 IST

पेट्रोल और डीजल के दाम में आ रही तेजी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा है। विश्व बैंक ने भी अपनी नवीनतम रिपोर्ट 2018 में कहा है कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भारत की अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का सबब बन सकती हैं। 

Open in App

- जयंतीलाल भंडारीहाल ही में सात जुलाई को दुनिया की ख्यात क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच छिड़े व्यापार युद्ध, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के बढ़ते दाम और रुपए की कीमत में ऐतिहासिक गिरावट से अब पेट्रोल और डीजल के दाम में आ रही तेजी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा है। विश्व बैंक ने भी अपनी नवीनतम रिपोर्ट 2018 में कहा है कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भारत की अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का सबब बन सकती हैं। 

दुनिया के अर्थविशेषज्ञों का कहना है कि कोई एक-दो दशक पहले मानसून का बिगड़ना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आर्थिक-सामाजिक चिंता का कारण बन जाया करता था लेकिन अब मानसून के धोखा देने पर भी अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को बहुत कुछ नियंत्रित कर लिया जाता है।

जबकि अब स्थिति यह है कि कच्चे तेल की कीमतें अंतर्राष्ट्रीय स्तर की घटनाओं और तेल उत्पादक देशों की नीतियों से जुड़ी हुई हैं, जिस पर भारत का नियंत्रण नहीं होता। ऐसे में भारत को कच्चे तेल की छलांगें लगाकर बढ़ती हुई कीमतों पर नियंत्रण के लिए और पेट्रोल-डीजल के विकल्पों पर रणनीतिक रूप से आगे बढ़ना होगा।

यद्यपि एक जुलाई 2018 से  कच्चे तेल का उत्पादन करने वाले 13 देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिग कंट्रीज (ओपेक) के द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में लगभग 10 लाख बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) की बढ़ोत्तरी कर दी गई है लेकिन वैश्विक तेल बाजार में कीमतें और बढ़ने से कच्चे तेल की कीमतें कम नहीं हो पाई हैं। इसके साथ ही भारत के लिए कच्चे तेल के मूल्यों से संबंधित एक और नई बड़ी चिंता है।

पिछले दिनों अमेरिका ने कठोरता के साथ जिस तरह भारत और चीन सहित सभी देशों को ईरान से कच्चे तेल का आयात 4 नवंबर तक बंद करने के लिए कहा है, उससे भारत के समक्ष ईरान की तरह तेल की सस्ती आपूर्ति के लिए नए देशों को ढूंढने का नया सवाल खड़ा हो गया है। भारत में इराक और सऊदी अरब के बाद सबसे ज्यादा कच्चा तेल ईरान से मंगाया जाता है।  ऐसे में कच्चे तेल की नई आपूर्ति का सवाल और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें देश के आम आदमी से लेकर संपूर्ण अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का सबसे प्रमुख कारण है।

(जयंतीलाल भंडारी कॅरियर काउंसलर व अर्थशास्‍त्री हैं)

टॅग्स :वित्त मंत्री अरुण जेटली
Open in App

संबंधित खबरें

भारतअश्विनी महाजन का ब्लॉग: GST पर केंद्र और राज्यों के बीच बढ़ती रार

भारतVideo : अरुण जेटली का 66 साल की उम्र में निधन, लंबे समय से थे बीमार

भारतArun Jaitley Death: छात्र नेता से वित्त मंत्री तक अरुण जेटली का राजनीतिक सफर

भारतपीयूष गोयल को वित्त, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया

कारोबार1 फरवरी को सरकार का अंतरिम बजट पेश करेंगे अरुण जेटली, मिडिल क्लास को मिल सकते हैं ये तोहफे

कारोबार अधिक खबरें

कारोबारIndiGo Crisis: इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने फ्लाइट कैंसिल होने पर माफी मांगी, कहा- बताया कब स्थिति हो जाएगी सामान्य

कारोबारRBI Monetary Policy: 25 बेसिस पॉइन्ट की कटौती, लोन में सुविधा; जानें आरबीआई की MPC बैठक की मुख्य बातें

कारोबारShare Market Today: RBI के ब्याज दर कटौती से शेयर बाजार में तेजी, घरेलू शेयरों ने पकड़ी रफ्तार

कारोबारPetrol-Diesel Price Today: टंकी फूल कराने से पहले यहां चेक करें तेल के लेटेस्ट दाम, जानें कहां मिल रहा सस्ता ईंधन

कारोबारGPS Spoofing: 'इसे हल्के में मत लो!' अंकुर चंद्रकांत का अलर्ट हुआ वायरल, कौन हैं निशाने पर?