कालेधन का पीछा करते हुए नरेंद्र मोदी की सरकार नोटबंदी के बाद अब गोल्डबंदी की तैयारी कर रही है. खबर है कि सरकार गोल्ड एमनेस्टी स्कीम लाएगी. इसके तहत जिनके पास निर्धारित सीमा से ज्यादा बिना बिल का सोना है, उन्हें एक मौका मिलेगा कि वे इसे उजागर करें.
इस कथित कालेधन की धुलाई का खर्च (टैक्स) कितना होगा और कितना समय मिलेगा यह गोल्ड एमनेस्टी स्कीम की लांचिंग के बाद पता चलेगा. फिलहाल बिना पूछताछ सोना रखने की सीमा है- विवाहित महिला 500 ग्राम, अविवाहित महिला 250 ग्राम और पुरुष 100 ग्राम. संभावना है कि गोल्ड एमनेस्टी स्कीम की लांचिंग के साथ सोना रखने की यह सीमा बढ़े.
गौरतलब है कि सोना खपत के मामले में दुनिया में हमारा क्र म दूसरा है, पर सोना संग्रहण में भारतीय परिवार सबसे अव्वल है. अनुमान लगाया गया है कि भारतीयों के पास 25000 टन से ज्यादा सोना है जिसका मूल्य होता है 1.5 ट्रिलियन डॉलर (करीब 1500 अरब रुपए). अब इसमें से कितना बिना बिल का सोना है, यह तो कोई नहीं जानता पर नोटबंदी की तरह गोल्डबंदी करके इसे पकड़ना आसान नहीं है.
नोटबंदी में पुराने नोट निश्चित समय के बाद कागज के टुकड़े हो जाते इसलिए उन्हें एक्सचेंज करवाना मजबूरी थी, पर सोने के साथ ऐसा नहीं होगा. जो लोग बिना बिल का सोना गोल्ड एमनेस्टी स्कीम में उजागर नहीं करेंगे उनके लिए सोना मूल्यहीन होने का खतरा नहीं है, खतरा है पकड़े जाने का.
यह भी गौरतलब है कि उनमें से अधिकांश को यह सोना अपने पुरखों से मिला है. इसी तरह भारतीय महिलाओं के पास भी स्त्नीधन के रूप में निर्धारित सीमा से ज्यादा बिना बिल का सोना है, पर यह ब्लैक मनी नहीं है. सवाल यह भी है कि सरकार देश के लगभग 30 करोड़ परिवारों में से उन परिवारों को कैसे चिह्न्ति करेगी जिनके पास बिना बिल का सोना है?
तो क्या होगा? आयकर या मनी लांड्रिंग की शंका में छापा पड़ेगा तो बिना बिल का वह सोना जब्त होगा जिसे गोल्ड एमनेस्टी स्कीम के तहत उजागर नहीं किया जाएगा.
वस्तुत: गोल्ड एमनेस्टी स्कीम ‘कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना’ है. यह स्कीम यूं तो सारे देश में लागू होगी पर मंदिरों और सार्वजनिक ट्रस्टों का सोना ही सिस्टम में लौटेगा. देश के प्रमुख मंदिरों के पास कई-कई टन सोना है. अभी यह सवाल भी अनुत्तरित है कि इन मंदिरों पर गोल्ड एमनेस्टी स्कीम कैसे लागू होगी?
चाहे जो हो, नोटबंदी के बाद गोल्डबंदी कालेधन पर सरकार का दूसरा बड़ा प्रहार होगा जो गोल्ड और ज्वेलरी मार्केट को बदलेगा. इसमें बहुसंख्यक निम्न मध्यमवर्गीय और निर्धन परिवार जिनके पास निर्धारित सीमा से कम सोना है, निश्चिंत रहेंगे और अमीरों की फजीहत होगी.