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Packaged Foods: पैकेटबंद खाद्य पदार्थों से चौपट होता स्वास्थ्य?, रसोई पर संकट मंडरा रहा, पिछले 15 साल में 11 फीसदी वृद्धि

By ललित गर्ग | Updated: March 10, 2025 05:17 IST

Packaged Foods: चिंताओं के बीच यूनिसेफ की एक ताजा रिपोर्ट चौंकाती भी है एवं लगातार स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ने के कारण को दर्शाती है.

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ठळक मुद्दे15 साल में दुनियाभर में पैकेटबंद खाद्य पदार्थों की बिक्री 11 फीसदी बढ़ी है.‘नेचर फूड’ पत्रिका में प्रकाशित इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेना होगा.भारत, बांग्लादेश, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर जैसे देश हैं.

Packaged Foods: आज रसोई पर संकट मंडरा रहा है, बाजारवाद ने रसोई के अस्तित्व को ही बदल दिया है, न केवल रसाेई को बदला है बल्कि हमारे शुद्ध एवं स्वास्थ्यवर्द्धक खानपान को ही ध्वस्त कर दिया है, जिससे हमारा स्वास्थ्य तो चौपट हो ही रहा है, हमारे पारिवारिक एवं भावनात्मक संबंध भी चरमरा रहे हैं. देश-दुनिया में पैकेटबंद खाद्य पदार्थों का चलन और इससे होने वाले नुकसान बढ़ते जा रहे हैं. मोटापा सहित अनेक बीमारियां संकट पैदा कर रही हैं. इन्हीं चिंताओं के बीच यूनिसेफ की एक ताजा रिपोर्ट चौंकाती भी है एवं लगातार स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ने के कारण को दर्शाती है.

यूनिसेफ ने भारत समेत 97 देशों में अध्ययन कर बताया है कि पिछले 15 साल में दुनियाभर में पैकेटबंद खाद्य पदार्थों की बिक्री 11 फीसदी बढ़ी है, जिससे जेब पर भी असर पड़ा है और स्वास्थ्य पर भी. जिन देशों में प्रति व्यक्ति सर्वाधिक चेन किराना स्टोर एवं सुपर मार्केट हैं, वहां लोग ज्यादा अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ खरीदते हैं. ‘नेचर फूड’ पत्रिका में प्रकाशित इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेना होगा.

अध्ययन के मुताबिक, जिन देशों में पिछले 15 साल में सुपर मार्केट से तले-भुने एवं जंक खाद्य पदार्थों की बिक्री में 11 फीसदी वृद्धि हुई है, वे भारत, बांग्लादेश, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर जैसे देश हैं. रिपोर्ट का एक चिंतनीय पक्ष यह है कि दक्षिण एशिया में यह बढ़ोत्तरी अन्य देशों की तुलना में तेज रही.

आंकड़े बताते हैं कि बीते डेढ़ दशक में विश्व स्तर पर सुपर मार्केट 23.6 फीसदी बढ़े हैं, जबकि इस दौरान दुनियाभर में मोटापा 18.2 प्रतिशत से बढ़कर 23.7 प्रतिशत हो गया है. पैकेटबंद खाद्य पदार्थों की खरीद बढ़ने से अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात में भोजन पर खर्च बहुत बढ़ा है.

भारत में भी पिछले साल के अंत में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण की रिपोर्ट कहती है कि लोगों के खाद्य बजट में सब्जियों, पैकेटबंद चीजों एवं जंक फूड्स की बड़ी हिस्सेदारी है. खाद्य पदार्थों के व्यापार पर नजर रखने वाली एजेंसी यूरोमॉनिटर के मुताबिक भारत में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड की प्रतिव्यक्ति सालाना बिक्री 2005 में दो किलोग्राम थी.

जो 2019 में छह किलोग्राम और 2024 में आठ किलोग्राम हो गई. सीएसई (सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट) द्वारा भारत में किए गए अध्ययन से भी इसका खुलासा हुआ है कि जंक फूड और पैकेटबंद भोजन मोटापा, कैंसर, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और दिल की बीमारियां बढ़ा रहे हैं.  

टॅग्स :भारत सरकारFood Corporation of India
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