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जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: मजबूत डिजिटल ढांचे की है बहुआयामी अहमियत

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: April 21, 2023 16:19 IST

आईएमएफ की ओर से प्रकाशित वर्किंग पेपर ‘स्टैकिंग अप द बेनिफिट्स लेसन्स फ्रॉम इंडियाज डिजिटल जर्नी’ में कहा गया है कि भारत ने अपने सतत विकास लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए एक विश्वस्तरीय बहुआयामी मजबूत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा (डीपीआई) विकसित किया है।

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ठळक मुद्देआईएमएफ ने ‘स्टैकिंग अप द बेनिफिट्स लेसन्स फ्रॉम इंडियाज डिजिटल जर्नी’ वर्किंग पेपर प्रकाशित कीवर्किंग पेपर में बताया गया है कि डिजिटल पेमेंट के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे हैपेपर में पीएम मोदी द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री जन धन योजना की भी सराहना की गई है

इन दिनों पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के द्वारा प्रकाशित वर्किंग पेपर ‘स्टैकिंग अप द बेनिफिट्स लेसन्स फ्रॉम इंडियाज डिजिटल जर्नी’ को पढ़ा जा रहा है, जो हाल ही में छपा है। इसमें कहा गया है कि भारत ने अपने सतत विकास लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए एक विश्वस्तरीय बहुआयामी मजबूत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा (डीपीआई) विकसित किया है।

यह अन्य देशों के लिए सबक है, जो अपने स्वयं के डिजिटल बदलाव की शुरुआत कर रहे हैं। वस्तुतः डिजिटल पेमेंट के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है और भारत में डिजिटल क्रांति का अनुभव हो रहा है। उल्लेखनीय है कि इस वर्किंग पेपर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) की सराहना की गई है उसमें कहा गया है कि मजबूत डिजिटल नीतियों से भारत में प्रतिस्पर्धी, खुला और किफायती दूरसंचार बाजार बना है और मोबाइल डाटा की लागत में 90 फीसदी की कमी से डाटा के इस्तेमाल में उछाल आया है।

नोटबंदी से यूपीआई समेत भुगतान के अन्य तरीकों का अधिक इस्तेमाल हुआ है। डिजिटलीकरण ने भारत की अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने में मदद की है और आधार ने लीकेज को कम करते हुए लाभार्थियों को भुगतान के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर-डीबीटी) में मदद की है।

आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस डिजिटल बुनियादी ढांचे का उपयोग करते हुए भारत कोविड-19 महामारी के दौरान गरीब परिवारों के एक बड़े हिस्से को जल्दी सहायता प्रदान करने में सक्षम बना रहा है और साथ ही मार्च 2021 तक डिजिटल बुनियादी ढांचे और अन्य डिजिटल सुधारों के कारण व्यय में जीडीपी का लगभग 1.1 फीसदी बचाया गया है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि इस समय देश में करीब 47.8 करोड़ से अधिक जनधन खातों (जे), करीब 134 करोड़ से अधिक आधार कार्ड (ए) और 118 करोड़ से अधिक मोबाइल उपभोक्ताओं (एम) के तीन आयामी जैम से आम आदमी डिजिटल दुनिया से जुड़ गया है।

भारत में वर्ष 2014 से लागू की गई डीबीटी योजना एक वरदान की तरह दिखाई दे रही है। निश्चित रूप से डिजिटल समानता से समाज के सभी वर्गों की पहुंच डिजिटल प्रौद्योगिकी की ओर बढ़ गई है। भारत में डीबीटी से कल्याणकारी योजनाओं के जरिए महिलाओं, बुजुर्गों और किसानों और कमजोर वर्ग के लोगों को अकल्पनीय फायदा हो रहा है। यह भी महत्वपूर्ण है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने देश में डिजिटल रुपए के नए दौर की शुरुआत की जिस तरह शुरुआत की है, यह आने वाले दिनों में गेमचेंजर साबित हो सकती है।

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