India-America-Russia: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपनी फितरत के अनुरूप न केवल घरेलू मोर्चे पर बल्कि उससे ज्यादा विदेशी रिश्तों को लेकर उलटफेर करते हुए नित नए फरमान जारी कर रहे हैं, अपना वर्चस्व जमाने को लेकर लगातार दावे कर रहे हैं. इसी के तहत नवीनतम कड़ी में उन्होंने दावा कर दिया कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस से तेल खरीदना बंद करने पर सहमति जताई है. जबकि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इससे इंकार किया है. ट्रम्प का यह बयान ऐसे मौके पर आया है जब दोनों देश व्यापार गतिरोध सुलझाने के लिए वार्ता कर रहे हैं.
भारत के रूस से तेल खरीदने का हवाला देकर ही दो माह पूर्व अमेरिका ने भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया था. भारत ने ट्रम्प के लगाए इस टैरिफ का विरोध किया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ा है. ट्रम्प जिस तरह से टैरिफ को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं उसी की वजह से भारत-अमेरिका के रिश्ते फिलहाल उथल-पुथल भरे दौर से गुजर रहे हैं.
भारत का कहना है, ‘भारत बड़ी मात्रा में तेल और गैस का आयात करता है. ऊर्जा के लगातार बदलने वाले माहौल में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है. ऊर्जा की कीमतों को स्थिर बनाए रखना और इसकी सप्लाई सुनिश्चित करना हमारे दो मकसद रहे हैं.’
भारतीय प्रवक्ता ने कहा ‘जहां तक अमेरिका का सवाल है तो हम कई साल से अपनी ऊर्जा खरीद का दायरा बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले एक दशक में इसमें लगातार प्रगति हुई है. अमेरिका के मौजूदा प्रशासन ने भारत के साथ ऊर्जा सहयोग को और बढ़ाने में रुचि दिखाई है और इस पर बातचीत जारी है.’
पिछले दिनों भारतीय अधिकारियों ने ट्रम्प प्रशासन के इस आरोप को ‘दोहरा मानदंड’ बताया है कि रूस के युद्ध से भारत मुनाफा कमा रहा है. भारत कह चुका है कि अमेरिका और यूरोप भी रूस के साथ व्यापार जारी रखे हुए हैं.भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. भारत अपने आर्थिक हितों के लिए रियायती दरों पर रूस से कच्चा तेल खरीदता आ रहा है.
हैरानी की बात यह है कि ट्रम्प एक तरफ तो मोदी को अपना मित्र बताते हैं, दूसरी तरफ टैरिफ को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. भारत तेल खरीद के मुद्दे पर अभी तक तो ट्रम्प प्रशासन के फरमान के आगे नहीं झुका है लेकिन निश्चित तौर पर एक तरफ जहां उसे सहमति वाले मुद्दों को मजबूत बनाने पर जोर देना होगा,
वहीं अपनी सामरिक स्वायत्तता से समझौता किए बिना अपने ऊर्जा हित भी बनाए रखने होंगे और टैरिफ जैसे असहमति वाले तमाम मुद्दों को राष्ट्रीय हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए आपसी सहमति से सावधानी से आगे बढ़ना होगा.