लाइव न्यूज़ :

बजट: रोजगार के अवसर बढ़ाने वाले विकास की जरूरत, प्रकाश बियाणी का ब्लॉग

By Prakash Biyani | Updated: January 19, 2021 12:12 IST

Budget 2021: बैंकों के कर्ज की वसूली के लिए सख्त कानून बनाया, नोटबंदी का जोखिम उठाया, जीएसटी जैसा जटिल टैक्स रिफॉर्म लागू किया.

Open in App
ठळक मुद्देमुद्रा योजना, स्किल डेवलपमेंट, स्टार्ट अप्स के जरिए उन्होंने स्वरोजगार को प्रमोट किया.सारी दुनिया की हेल्थ और इकोनॉमी को कोरोना ने संक्रमित कर दिया. देश ने मैन्युफैक्चरिंग जारी रखने और मांग बनाए रखने के लिए आर्थिक पैकेज घोषित किए.

मोदी सरकार के दस साल 2014 से 2024 को भी  कोरोना ने दो हिस्सों में बांट दिया है. पहले दौर के वित्त मंत्नी अरुण जेटली अनुभवी राजनेता, रणनीतिकार  और कॉर्पोरेट लॉयर थे.

उन्होंने बैंकों के कर्ज की वसूली के लिए सख्त कानून बनाया, नोटबंदी का जोखिम उठाया, जीएसटी जैसा जटिल टैक्स रिफॉर्म लागू किया. इकोनॉमी ग्रो हुई, पर जॉबलेस. रोजगार के अवसर नहीं बढ़े. उनके निधन के बाद वित्त मंत्नालय निर्मला  सीतारमण को मिला. मुद्रा योजना, स्किल डेवलपमेंट, स्टार्ट अप्स के जरिए उन्होंने स्वरोजगार को प्रमोट किया.

सारी दुनिया की हेल्थ और इकोनॉमी को कोरोना ने संक्रमित कर दिया

उनके इन प्रयासों के सुफल मिलने लगे थे कि सारी दुनिया की हेल्थ और इकोनॉमी को कोरोना ने संक्रमित कर दिया. महामारी  से लड़ने के लिए लॉकडाउन हुआ. जिस देश ने जितना सख्त लॉकडाउन किया वहां उतनी ज्यादा जानें बचीं, पर उतनी ही ज्यादा अर्थव्यवस्था ध्वस्त हुई. हर देश ने मैन्युफैक्चरिंग जारी रखने और मांग बनाए रखने के लिए आर्थिक पैकेज घोषित किए.

निर्मला सीतारमण ने भी  20 लाख करोड़ रुपए मार्केट में पहुंचाने के जतन किए. इनमें से  सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्योगों, छोटे किसानों और स्ट्रीट वेंडर्स को बैंकों के जरिये 6 लाख करोड़ रुपए मिलने थे. बैंकों ने बड़े उद्योगों को तो उनका हिस्सा दे दिया, पर छोटे उद्यमी और स्ट्रीट वेंडर्स बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं. 2020 में कोरोना ने अमीरी और गरीबी की खाई और गहरी कर दी.

कोरोना अभिशाप के साथ कुछ मामलों में वरदान भी बना है

हमारे लिए कोरोना अभिशाप के साथ कुछ मामलों में वरदान भी बना है. चीन से रुष्ट दुनिया ने मान लिया है कि एशिया में चीन का विकल्प भारत है. इसी उम्मीद के साथ निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करने जा रही हैं. उन्होंने कहा है कि यह देश का पहला पेपरलेस और अभूतपूर्व बजट होगा. संयोग से सितंबर के बाद इकोनॉमी ने भी करवट ले ली है. मार्च से सितंबर तक जीएसटी कलेक्शन हर माह एक लाख करोड़ से कम हुआ था. अक्तूबर से दिसंबर के तीन महीने में यह 3.25 लाख करोड़ रु पए से ज्यादा हुआ है.

भारतीय कंपनियों पर भरोसा बढ़ने से विदेशी निवेशकों ने  शेयर मार्केट में 1.40 लाख करोड़  रुपए से ज्यादा का निवेश किया है. हम कह सकते हैं कि इकोनॉमी संभलने लगी है, पर यह जॉबलेस ग्रोथ है. कर वसूली बढ़ने या शेयर मार्केट दौड़ने से देश में रोजगार के अवसर नहीं बढ़ेंगे. इसके लिए तो देश को चीन की तरह ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनना पड़ेगा. इससे ही आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न भी साकार होगा.यही निर्मला सीतारमण की सबसे बड़ी चुनौती है.

बजट में उन्हें देश में ‘ईज ऑफ डूइंग’ बिजनेस माहौल बनाना

इस बजट में उन्हें देश में ‘ईज ऑफ डूइंग’ बिजनेस माहौल बनाना है. इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर भारी खर्च करना है. कोरोना के बाद हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर पर, तो सीमा पर पड़ोसी दुश्मन देशों का मुकाबला करने के लिए डिफेंस पर खर्च बढ़ाना वित्त मंत्नी की विवशता है. 140 करोड़ भारतीयों को कोरोना वैक्सीन फ्री को लेकर राजनीति शुरू हो गई है.

65 हजार करोड़ रुपए के इस खर्च के लिए वित्त मंत्नी उपकर या अधिभार लगा सकती हैं. कॉर्पोरेट्स को कर में राहत पहले ही मिल चुकी है इसलिए उन्हें इस बजट से कोई उम्मीद नहीं है. मध्यमवर्गीय परिवारों को कोरोना आर्थिक पैकेज में भी कुछ नहीं मिला था. वे आयकर में राहत की उम्मीद कर रहे हैं.

हेल्थ और लाइफ इन्श्योरेंस प्रीमियम पर भी छूट चाहिए

उन्हें हेल्थ और लाइफ इन्श्योरेंस प्रीमियम पर भी छूट चाहिए. किसान दिल्ली को घेरकर बैठे हुए हैं. इनमें कितने असली किसान हैं कितने नकली, इस बहस से बचते हुए मोदीजी का फोकस  बहुसंख्यक छोटे किसान हैं जो इससे खुश हैं कि सरकारी राहत अब बिना कटौती सीधे उनके बैंक खातों में जमा होने लगी है. कोरोना ने रेल के चक्के जाम किए. भारतीय रेलवे ने यात्ना किराए और माल ढुलाई की कमाई खोई, पर वित्त मंत्नी चाहती हैं कि रेलवे निजीकरण से पूंजी जुटाए. उनसे ज्यादा उम्मीद न करें.

विनिवेश के लक्ष्य इस साल भी पूरे नहीं हुए हैं. सरकार एयर इंडिया या बीपीसीएल की इक्विटी नहीं बेच पाई है. शेयर मार्केट में तेजी के दौर में वित्त मंत्नी सरकारी कंपनियों की इक्विटी और अनयूज्ड लैंड्स बेचकर पूंजी जुटाना चाहेगी. केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में उधारी का लक्ष्य  50 प्रतिशत बढ़ाकर 12 लाख करोड़ रुपए कर दिया है. वित्तीय घाटा पिछले साल से दोगुना 6 फीसदी से ज्यादा रहने का अनुमान है. वैक्सीन आने और कोरोना संक्रमण घटने से इकोनॉमी संभलने की उम्मीद है पर देश को रोजगार के अवसर बढ़ानेवाली ग्रोथ चाहिए.  संपन्न वर्ग भी सुखी और सुरक्षित तभी रहेंगे जब उनके आसपास भुखमरी न हो.

टॅग्स :बजट २०२०-२१नरेंद्र मोदीनिर्मला सीतारमणइकॉनोमीसकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)
Open in App

संबंधित खबरें

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतModi-Putin Talks: यूक्रेन के संकट पर बोले पीएम मोदी, बोले- भारत न्यूट्रल नहीं है...

भारतPutin India Visit: एयरपोर्ट पर पीएम मोदी ने गले लगाकर किया रूसी राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत, एक ही कार में हुए रवाना, देखें तस्वीरें

भारतPutin India Visit: पुतिन ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, देखें वीडियो

भारतपीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को भेंट की भगवत गीता, रशियन भाषा में किया गया है अनुवाद

कारोबार अधिक खबरें

कारोबारRBI Monetary Policy: 25 बेसिस पॉइन्ट की कटौती, लोन में सुविधा; जानें आरबीआई की MPC बैठक की मुख्य बातें

कारोबारShare Market Today: RBI के ब्याज दर कटौती से शेयर बाजार में तेजी, घरेलू शेयरों ने पकड़ी रफ्तार

कारोबारPetrol-Diesel Price Today: टंकी फूल कराने से पहले यहां चेक करें तेल के लेटेस्ट दाम, जानें कहां मिल रहा सस्ता ईंधन

कारोबारGPS Spoofing: 'इसे हल्के में मत लो!' अंकुर चंद्रकांत का अलर्ट हुआ वायरल, कौन हैं निशाने पर?

कारोबारGold-Silver Price Today: सोना 600 रुपये गिरकर 1,31,600 रुपये प्रति 10 ग्राम पर, चांदी में 900 रुपये की नरमी