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India's Got Latent: अश्लीलता पर रोक लगाने की डगर आसान नहीं?, रणवीर अलाहबादिया ने अत्यंत अशोभनीय टिप्पणियां...

By प्रमोद भार्गव | Updated: February 24, 2025 09:09 IST

India's Got Latent: न्यायाधीश स्वयं के विवेक और दृष्टिकोण से निर्णय लेते हैं. ज्यादातर इस प्रकृति के निर्णय निंदा एवं चेतावनी देने तक सीमित रहते हैं.

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ठळक मुद्देफलतः अश्लील सामग्री परोसने वाले बच निकलते हैं. संवैधानिक अधिकार का दुरुपयोग है.अतएव इस परिप्रेक्ष्य में कठोर कानून जरूरी है.

India's Got Latent: ऑनलाइन डिजिटल मंचों पर अश्लीलता और हिंसा दिखाए जाने पर अंकुश लगाने के लिए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय  कानूनी रास्ते तलाश रहा है. सरकार को यह कदम इसलिए उठाना पड़ रहा है, क्योंकि यूट्यूब पर प्रसारित ‘इंडियाज गाॅट लेटेंट’ में यूट्यूबर रणवीर अलाहबादिया ने बयान नहीं की जा सकने वाली अत्यंत अशोभनीय टिप्पणियां की हैं. इस कारण उन पर अनेक राज्यों में कई एफआईआर भी दर्ज हुई हैं. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर इस तरह की हरकतें और वार्तालाप इसलिए संभव हो जाते हैं, क्योंकि अश्लीलता को अब तक आईटी कानूनों में स्पष्ट रूप में परिभाषित नहीं किया जा सका है. नतीजतन न्यायाधीश स्वयं के विवेक और दृष्टिकोण से निर्णय लेते हैं. ज्यादातर इस प्रकृति के निर्णय निंदा एवं चेतावनी देने तक सीमित रहते हैं.

फलतः अश्लील सामग्री परोसने वाले बच निकलते हैं. रणवीर की टिप्पणियों के बाद पूरा देश गुस्से में है, इसलिए डिजिटल प्लेटफाॅर्म अर्थात सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी की मांग उठ रही है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की संसदीय समीति ने भी चिंता जताई है कि अश्लील और हिंसक दृश्य व श्रव्य कार्यक्रम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बहाने दिखाए जा रहे हैं, जो संवैधानिक अधिकार का दुरुपयोग है.

अतएव इस परिप्रेक्ष्य में कठोर कानून जरूरी है. ‘ओवर द टाॅप’ अर्थात ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फिल्म एवं वेब सीरीज पर दिखाई जा रही अश्लीलता चिंता का विषय है, अतएव इस पर नियंत्रण जरूरी है. यह समस्या इसलिए विकट होती जा रही है, क्योंकि इंटरनेट और सोशल प्लेटफॉर्म प्रदाता कंपनियां इस दुरुपयोग को रोकने के लिए कोई कारगर पहल करने को तैयार नहीं हैं.

कंपनियां यह कहकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेती हैं कि वह ऐसी किसी आपत्तिजनक तस्वीर या सामग्री के उपयोग की अनुमति नहीं देती हैं. ज्यादा हुआ तो जो आपत्तिजनक सामग्री अपलोड हो जाती है, उसे हटाने का आश्वासन दे देती हैं. लेकिन कंपनी के ऐसे दावे भरोसे के लायक नहीं होते हैं, क्योंकि ऐसी सामग्री की पुनरावृत्ति होती रहती है. इसलिए इस परिप्रेक्ष्य में नियंत्रण की जरूरत कहीं अधिक बढ़ गई है.

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