भारत के 15वें उपराष्ट्रपति। एक जुलाई 1949 को आंध्र प्रदेश में जन्मे वेंकैया नायडू ने 11 अगस्त 2017 को भारत के उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली। उपराष्ट्रपति बनने से पहले वेंकैया नायडू नरेंद्र मोदी नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार में मंत्री थे। नायडू साल 2002 से 2004 तक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। नायडू केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी केंद्रीय मंत्री रहे थे। नायडू कम उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गये थे। नायडू ने राजनीति की शुरुआत आरएसएस की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से शुरू की। जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में चले आपातकाल विरोधी आंदोलन में नायडू ने सक्रिय भागीदारी की और उन्हें जेल जाना पड़ा। 1978 में वो आंध्र प्रदेश की नेल्लोर विधान सभा सीट से जीत हासिल करके विधान सभा पहुँचे। बीजेपी में कई अहम पदों की जिम्मेदारी निभाने के बाद 1998 में पार्टी ने उन्हें राज्य सभा सांसद बनाया। 1999 में अटल सरकार में नायडू पहली बार केंद्रीय बने। साल 2017 में यूपीए उम्मीदवार गोपालकृष्ठ गांधी को हराकर देश से उपराष्ट्रपति बने।Read More
रियो ओलंपिक में 118 सदस्यों वाले भारतीय दल में से केवल 20 ही क्वार्टर फाइनल और उससे ऊपर तक पहुंच सके. टोक्यो में 120 एथलीटों में से 55 ने क्वार्टर फाइनल और उससे ऊपर के मुकाबलों तक जगह बनाई. ...
मुझे भी एकांतवास और गहन चिंतन से गुजरना पड़ा. जीवन का उद्देश्य क्या है और हमारा जीना कितना सार्थक है? ऐसे सवाल हमारे दिमाग में भर गए. जब हम जीवित रहने के लिए मास्क (नकाब) पहनते हैं, तो जीवन अनमास्क (बेनकाब) होता है. ...
नई शिक्षा नीति 2020 बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए पोषण के महत्व को भी पहचानती है और इसलिए बच्चों के लिए पौष्टिक मिड-डे मील के अलावा, ऊर्जा से भरे नाश्ते के लिए इसमें प्रावधान किया गया है. ...
किसान भारत की खाद्य सुरक्षा की आधारशिला हैं और उन्होंने अपनी मेहनत के बल पर इसे सुनिश्चित भी किया है. साथ ही देश को गौरवान्वित किया है. किसानों को हालांकि बदले में उनका हक नहीं मिला है. ...
गुरुनानकजी ने न केवल सिख धर्म के प्रमुख सिद्धांतों को सूत्रबद्ध किया, बल्कि यह सुनिश्चित करने का भी ध्यान रखा कि उनकी शिक्षाएं हमेशा प्रासंगिक रहें. समानता के आदर्श को समुदाय के भोजन में ठोस संस्थागत रूप दिया गया, जिसे ‘लंगर’ कहा जाता है, जहां जाति, ...
आम धारणा के अनुसार देश के अधिकांश लोग मानते हैं कि यह एक सराहनीय कदम है. वे यह भी मानते हैं कि सरकार के इस कदम को संकीर्ण राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि यह देश की एकता और अखंडता से जुड़ा हुआ मुद्दा है. ...