Ashwani Mahajan (अश्विनी महाजन): Latest News (ताज़ा ख़बर), Breaking News (ब्रेकिंग न्यूज़) in Hindi and Bloat News Hindi (लोकमत न्यूज हिन्दी)

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अश्विनी महाजन

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ब्लॉगः कठिन राह के बावजूद मोदी सरकार की उपलब्धियां सराहनीय, कई क्षेत्रों में हुआ सुधार - Hindi News | | Latest india News at Lokmatnews.in

भारत :ब्लॉगः कठिन राह के बावजूद मोदी सरकार की उपलब्धियां सराहनीय, कई क्षेत्रों में हुआ सुधार

शिक्षा, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, रोजगार आदि के क्षेत्र में भी पिछली सरकारों की भी उपलब्धियां रही हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार हमारी साक्षरता 1951 के 16.7 प्रतिशत से बढ़कर 2011 में 64.3 प्रतिशत हो गई। ...

ब्लॉगः क्या है ‘गिग’ अर्थव्यवस्था और इसका संकट कैसे दूर हो ? - Hindi News | | Latest business News at Lokmatnews.in

कारोबार :ब्लॉगः क्या है ‘गिग’ अर्थव्यवस्था और इसका संकट कैसे दूर हो ?

आज से दो-तीन दशक पहले कामगारों के दो प्रकार होते थे। एक, वेतनभोगी कर्मचारी और दूसरे, आकस्मिक श्रमिक। वेतनभोगी श्रमिक सामान्यतः स्थायी रूप से एक निश्चित वेतन और अन्य सुविधाओं के साथ नियुक्त होते हैं। आकस्मिक मजदूरों को प्रत्येक दिन के हिसाब से मजदूरी ...

अश्विनी महाजन का ब्लॉग: खुशी और भुखमरी के सूचकांक में पक्षपात - Hindi News | | Latest india News at Lokmatnews.in

भारत :अश्विनी महाजन का ब्लॉग: खुशी और भुखमरी के सूचकांक में पक्षपात

उदाहरण के लिए सऊदी अरब जिसमें तानाशाही व्यवस्था है उसे तीसरे स्थान पर, यूक्रेन जो युद्ध में बर्बाद हो चुका है उसे 92वें स्थान पर, तुर्की जो महंगाई के कारण टूट चुका है उसे 106वें स्थान पर, दुनिया के सामने भीख का कटोरा लिए खड़े पाकिस्तान को 108वें स्था ...

ब्लॉगः क्रेडिट एजेंसियों की प्रासंगिकता का उठ रहा सवाल - Hindi News | | Latest business News at Lokmatnews.in

कारोबार :ब्लॉगः क्रेडिट एजेंसियों की प्रासंगिकता का उठ रहा सवाल

वर्ष 2007-08 के दौरान अमेरिकी अर्थव्यवस्था एक भयंकर त्रासदी से गुजरी और लेहमन ब्रदर्स के साथ-साथ सैकड़ों अमेरिकी बैंक दिवालिया हो गए थे। जैसा कि होता रहा है अमेरिका के वित्तीय संकट के कारण पूरे यूरोप के बैंकों पर भी भारी संकट आया और इस वित्तीय संकट ने ...

ब्लॉगः उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पा रही हैं वैश्विक संस्थाएं - Hindi News | | Latest world News at Lokmatnews.in

विश्व :ब्लॉगः उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पा रही हैं वैश्विक संस्थाएं

द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात पहले द्वि-ध्रुवीय विश्व और बाद में अमेरिका की अगुवाई वाले एक-ध्रुवीय विश्व में भी वैश्विक संस्थानों की एक महती भूमिका मानी जाती रही है। संयुक्त राष्ट्र और उसके अंतर्गत आने वाली संस्थाएं दुनिया के संचालन की धुरी बनी रहीं। ...