ब्लॉगः क्या है ‘गिग’ अर्थव्यवस्था और इसका संकट कैसे दूर हो ?

By अश्विनी महाजन | Published: May 23, 2023 02:39 PM2023-05-23T14:39:33+5:302023-05-23T14:39:33+5:30

आज से दो-तीन दशक पहले कामगारों के दो प्रकार होते थे। एक, वेतनभोगी कर्मचारी और दूसरे, आकस्मिक श्रमिक। वेतनभोगी श्रमिक सामान्यतः स्थायी रूप से एक निश्चित वेतन और अन्य सुविधाओं के साथ नियुक्त होते हैं। आकस्मिक मजदूरों को प्रत्येक दिन के हिसाब से मजदूरी मिलती है और उन्हें प्रतिदिन रोजगार की तलाश में जाना होता है।

Blog What is the Gig economy and how to overcome its crisis | ब्लॉगः क्या है ‘गिग’ अर्थव्यवस्था और इसका संकट कैसे दूर हो ?

ब्लॉगः क्या है ‘गिग’ अर्थव्यवस्था और इसका संकट कैसे दूर हो ?

आजकल ‘गिग’ शब्द अत्यधिक प्रचलन में है। आज से दो-तीन दशक पहले तक गिग शब्द का बहुत कम उपयोग होता था। ‘गिग’ शब्द का अर्थ और ‘गिग’ अर्थव्यवस्था व ‘गिग वर्कर’ आदि शब्दों को समझना और समाज पर इसके प्रभावों को जानना जरूरी हो गया है।

आज से दो-तीन दशक पहले कामगारों के दो प्रकार होते थे। एक, वेतनभोगी कर्मचारी और दूसरे, आकस्मिक श्रमिक। वेतनभोगी श्रमिक सामान्यतः स्थायी रूप से एक निश्चित वेतन और अन्य सुविधाओं के साथ नियुक्त होते हैं। इन श्रमिकों को हटाने के लिए एक निश्चित प्रक्रिया अपनाया जाना जरूरी था। दूसरी तरफ आकस्मिक श्रमिक यानी ‘कैजुअल लेबर’ से अभिप्राय दिहाड़ीदार मजदूरों से होता है। इन मजदूरों को प्रत्येक दिन के हिसाब से मजदूरी मिलती है और उन्हें प्रतिदिन रोजगार की तलाश में जाना होता है।

आज के युग में इन दोनों वर्गों से इतर एक नए प्रकार के श्रमिक वर्ग ‘गिग वर्कर’ का निर्माण हुआ है। नई टेक्नोलॉजी के आधार पर ऑनलाइन प्लेटफार्म, क्लाउड वर्किंग, फ्रीलांस वर्कर, ई-कॉमर्स, सप्लाई चेन इत्यादि के रूप में यह नई श्रेणी उभरी है। यानी कहा जा सकता है कि नई टेक्नोलॉजी और नए बिजनेस मॉडल इस नई श्रमिक श्रेणी के जनक हैं। तेज रफ्तार की इस दुनिया में हर कोई अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। आज की अराजक परिस्थितियों में श्रमिकों के अस्तित्व पर एक नया संकट आ गया है।

 तथाकथित रूप से ये श्रमिक काम तो कर रहे हैं और काम देने वाले एप्प भी सामने दिखाई देते हैं, लेकिन सरकारी परिभाषाओं में इन्हें श्रमिक यानी ‘वर्कर’ ही नहीं माना जाता बल्कि उन्हें ‘फ्रीलांसर’ कहा जाता है। ये वर्कर श्रमिकों के लिए निर्धारित न्यूनतम मजदूरी, काम के घंटे, ओवर टाइम और छुट्टी जैसे न्यूनतम लाभों से भी वंचित हैं। दुनियाभर में इस प्रकार के ‘गिग’ वर्करों की सामाजिक सुरक्षा में सबसे बड़ी बाधा यह आ रही है कि इन वर्करों को चिन्हित कैसे किया जाए।

Web Title: Blog What is the Gig economy and how to overcome its crisis

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