जाकिर नाईक पर मलयेशिया सरकार में मतभेद, मंत्री बोले इसे भारत क्यों नहीं भेजते
By भाषा | Published: July 13, 2018 10:48 PM2018-07-13T22:48:42+5:302018-07-13T22:48:42+5:30
विवादित कट्टरपंथी प्रचारक जाकिर नाईक के मलयेशिया से प्रत्यर्पण का मामला अब तूल पकड़ रहा है।
नई दिल्ली , 13 जुलाई: विवादित कट्टरपंथी प्रचारक जाकिर नाईक के मलयेशिया से प्रत्यर्पण का मामला अब तूल पकड़ रहा है। मौजूदा डेमोक्रेटिक एक्शन पार्टी (डीएपी) के एक नेता ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने और दो अन्य मंत्रियों ने प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद के उस बयान के बाद कैबिनेट की बैठक में जाकिर नाईक के मुद्दे को उठाया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय मुस्लिम प्रचारक को उसके देश में निर्वासित नहीं किया जाएगा। मलयेशिया के मानव संसाधन मंत्री एम कुलसेगरन ने यह भी कहा कि वह इस मामले को भारतीय नेतृत्व के सामने भी उठाएंगे।
उन्होंने कहा है कि सरकार को नियमों का पालन करते हुए जाकिर नाईक को प्रत्यर्पित कर भारत भेज देना चाहिए। भारत ने कहा कि विवादित मुस्लिम धर्म उपदेशक जाकिर नाईक के प्रत्यर्पण की मांग पर मलेशिया सक्रिय रूप से विचार कर रहा है। अपने भड़काऊ भाषणों से युवाओं को आतंकी गतिविधियों के लिए प्रेरित करने के मामले में जांच के लिए विदेश मंत्रालय ने जनवरी में जाकिर नाईक के प्रत्यर्पण के लिए मलेशिया से औपचारिक रूप से आग्रह किया था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान बताया कि हमारा प्रत्यर्पण अनुरोध मलेशिया के समक्ष विचाराधीन है। इस संबंध में हम अपने मंत्रालय और मलेशिया स्थित अपने उच्चायोग के जरिये मलेशियाई अधिकारियों के नियमित संपर्क में हैं। मलेशिया सरकार द्वारा स्टूडियो के लिए नाईक को जमीन दिए जाने की जानकारी के सवाल पर रवीश ने कहा कि इसे प्रमाणित करना मुश्किल है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) नाईक के खिलाफ दर्ज आतंकी गतिविधियों और धनशोधन के मामले की जांच कर रही है। नाईक जुलाई 2016 में भारत छोड़ गया था। भारत और मलेशिया के बीच प्रत्यर्पण संधि है।