केपटाउन, 16 नवंबर: दक्षिण अफ्रीका की एक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मानव मूत्र की मदद से ईंट बनाने में सफलता हासिल की है. पर्यावरण अनुकूल इमारत निर्माण सामग्री की तलाश में यह नया आविष्कार है. भविष्य में मानव मूत्र के बेहतर इस्तेमाल की उम्मीद की जा सकती है और यह नए घरों या कार्यालयों की इमारत के निर्माण में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.
यह नई खोज केपटाउन यूनिवर्सिटी के दो छात्रों और एक शिक्षक की दिमाग की उपज है. सरकारी जल अनुसंधान परिषद से अनुदान मिलने पर पिछले साल कृत्रिम यूरिया की मदद से इसकी व्यावहारिकता का अध्ययन कराया गया. इसके बाद अध्ययन में मानव मूत्र का इस्तेमाल किया गया. शिक्षक डायलॉन रानडॉल ने कहा, मैं हमेशा से यह जानने का उत्सुक था कि हम इसी काम के लिए मूत्र का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा सकता.
इसका जवाब है कि हां, हम कर सकते हैं. इसके एक साल बाद, उन्होंने प्रयोगशाला में पहली जैव-ईंट सफलतापूर्वक बनाई.
समुद्र में सींप के प्राकृतिक निर्माण जैसी प्रक्रिया अनुसंधानकर्ताओं को आशा है कि दुनिया में अपनी तरह के पहले आविष्कार में जैव-ईंटें बेहतर विकल्प की संभावना खोल सकती हैं. पेशाब की मदद से इस ईंट को बनाने की तकनीक समुद्र में सींप के प्राकृतिक निर्माण जैसी ही है जिसे बनने में छह से आठ दिन का समय लगता है.