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WHO फंड पर रारः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रोक दी फंड, चीन और जर्मनी ने कहा- कोरोना अभियान प्रभावित होगा, अनुचित फैसला

By भाषा | Updated: April 15, 2020 15:59 IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पर भेदभाव आरोप लगाते हुए फंड रोक दिया है। विश्व के कई देश ने इस फैसले की आलोचना की है। सभी ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी को रोकने में दिक्कत का सामना करना होगा।

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ठळक मुद्देट्रंप ने एक दिन पहले ही कोरोना वायरस संकट का कुप्रबंधन करने का डब्ल्यूएचओ पर आरोप लगाया था।जर्मनी के विदेश मंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘दूसरों को जिम्मेदार ठहराने से कोई मदद नहीं मिलेगी...

बर्लिन/बीजिंग/वाशिंगटनः विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को वित्तीय अनुदान रोकने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले की जर्मनी के विदेश मंत्री हेइको मास ने बुधवार को आलोचना की और कोरोना वायरस संकट के लिये दूसरों को जिम्मेदार ठहराने के खिलाफ आगाह किया।

ट्रंप ने एक दिन पहले ही कोरोना वायरस संकट का कुप्रबंधन करने का डब्ल्यूएचओ पर आरोप लगाया था। इस पर जर्मनी के विदेश मंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘दूसरों को जिम्मेदार ठहराने से कोई मदद नहीं मिलेगी...बेहतर होगा कि संयुक्त राष्ट्र को मजबूत किया जाए व इससे भी आगे जाते हुए जांच एवं टीकों के विकास और वितरण में डब्ल्यूएचए की मदद की जाए।

चीन ने बुधवार को कहा कि उसे अमेरिका के विश्व स्वास्थ्य संगठन का कोष रोकने के निर्णय को लेकर ‘‘काफी चिंता’’ है। साथ ही उसने अमेरिका से आग्रह किया कि कोरोना वायरस के संकट के समय वह अपने दायित्वों को पूरा करे।

चीन के अधिकारी झाओ लिजीआन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ अमेरिका के निर्णय से डब्ल्यूएचओ की क्षमताएं कम होंगी और महामारी के खिलाफ अभियान में अंतरराष्ट्रीय सहयोग कम होगा।’’ एक दिन पहले ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जिनेवा स्थित निकाय पर जीवन रक्षक कदमों को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया था। 

कोविड-19: ट्रम्प ने डब्ल्यूएचओ का वित्त पोषण रोकने का आदेश दिया

कोरोना वायरस संकट पर गैर जिम्मेदार तरीके से काम करने का आरोप लगाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन को दी जाने वाली आर्थिक सहायता पर रोक लगाने का ऐलान किया। ट्रंप ने कहा कि जब तक घातक कोरोना वायरस के प्रसार को कम करने को लेकर ‘‘प्रबंधन में गंभीर गलती करने और जानकारी को छुपाने में’ डब्ल्यूएचओ की भूमिका की समीक्षा नहीं हो जाती, तब तक यह रोक जारी रहेगी।

जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, कोरोना वायरस से अब तक अमेरिका में 25,000 से अधिक, जबकि विश्वभर में कम से कम 1,19,000 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस का पहला मामला पिछले साल नवंबर में चीन के वुहान शहर में सामने आया था। महामारी को लेकर व्हाइट हाउस में अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में ट्रंप ने पत्रकारों से कहा, ‘‘ जब तक कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने व इससे निपटने में गंभीर कुप्रबंधन और इसे छुपाने में संस्था की भूमिका का आकलन करने के लिए समीक्षा की जा रही है तब तक आज मैं अपने प्रशासन को विश्व स्वास्थ्य संगठन के वित्त पोषण को रोकने का निर्देश दे रहा हूं । हर कोई जानता है कि वहां क्या हुआ है।’’

ट्रंप प्रशासन ने डब्ल्यूएचओ पर चीन की तरफदारी करने का आरोप लगाया है जिसकी वजह से अमेरिका की अर्थव्यवस्था में ठहराव आ गया है। राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका के करदाता डब्ल्यूएचओ को सालाना 40 से 50 करोड़ डॉलर देते हैं जबकि चीन सालाना तकरीबन 4 करोड़ डॉलर या उससे भी कम राशि देता है। ट्रंप का कहना है कि कोरोना के प्रकोप में अपना कर्तव्य निभाने में डब्ल्यूएचओ पूरी तरह नाकाम हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि चीन में जब यह वायरस फैला तो संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने उसे छुपाने की कोशिश की और इसके लिए उसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।  

डब्ल्यूएचओ को वित्तीय अनुदान रोकने पर ईयू ने की ट्रंप की आलोचना

यूरोपीय संघ (ईयू) ने कहा है कि इस नाजुक घड़ी में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को वित्तीय अनुदान रोकने का अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले का कोई कारण नहीं है। साथ ही, विभाजन के बजाय एकजुटता को प्रोत्साहित करने के कदम उठाने की भी अपील की।

उल्लेखनीय है कि ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ को दी जाने वाली सालाना 50 करोड़ डॉलर तक की अमेरिकी धनराशि को रोकने की घोषणा की है। ईयू की विदेश नीति के प्रमुख जोसेप बोरेल ने कहा कि 27 देशों का संगठन कोष की आपूर्ति निलंबित किये जाने पर गहरा अफसोस प्रकट करता है, जबकि कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये डब्ल्यूएचओ को अभी धन की सर्वाधिक जरूरत है। बोरेल ने कहा, ‘‘हम सिर्फ एकजुट होकर ही इस संकट से निकल सकते हैं। ’’ ईयू दशकों से अमेरिका का परंपरागत सहयोगी रहा है लेकिन पिछले कुछ बरसों से यह ट्रंप प्रशासन का आलोचक भी रहा है।

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