Armenia-Azerbaijan war: इन दो देशों में जारी है खूनी जंग, कई देश हो सकते हैं प्रभावित, जानें क्या है फसाद की जड़
By गुणातीत ओझा | Published: October 1, 2020 04:19 PM2020-10-01T16:19:44+5:302020-10-01T17:00:31+5:30
पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा रह चुके ईरान-तुर्की की सीमा से लगे दो छोटे देश अजरबैजान और आर्मीनिया में पिछले चार दिनों से खूनी संघर्ष जारी है।
Armenia-Azerbaijan war: पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा रह चुके ईरान-तुर्की की सीमा से लगे दो छोटे देश अजरबैजान और आर्मीनिया में पिछले चार दिनों से खूनी संघर्ष जारी है। इन दोनों देशों की सीमा रेखा से चौबीसों घंटे धमाके की रूह कंपा देने वाली गूंज सुनाई दे रही है। मुस्लिम बहुल देश अजरबैजान और ईसाई बहुल आर्मीनिया के बीच यह रंजिश नई नहीं है। इन दोनों देशों के बीच दशकों से हिंसक झड़प चली आ रही है। दोनों देशों के बीच युद्ध की बड़ी वजह है नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र (Nagorno-Karabakh)। इस क्षेत्र के पहाड़ी इलाके को अजरबैजान अपना बताता है, जबकि यहां आर्मीनिया का कब्जा है। 1994 में खत्म हुई लड़ाई के बाद से इस इलाके पर आर्मीनिया का कब्जा है। वैश्विक कानूनों के तहत इस 4,400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अजरबैजान का बताया जा चुका है, लेकिन यहां आर्मीनियाई मूल की आबादी अधिक है। 2016 में भी दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र को लेकर खूनी संघर्ष हुआ था, जिसमें 200 लोग मारे गए थे। अब एक बार फिर दोनों देश एक-दूसरे को तबाह करने पर अमादा हैं।
फिर क्यों धधक उठी आग
जुलाई 2020 में दोनों देशों के बीच हिंसक झड़पें हुईं जिसमें 16 लोगों की मौत हो गई। उसके बाद, अजरबैजान में जनता का गुस्सा भड़क उठा और बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। लोगों ने मांग की कि देश नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र पर कब्जा कर ले। कुछ ही दिनों में दोनों देशों ने एक दूसरे पर आरोप लगाना शुरू कर दिया। अजरबैजान ने दावा किया कि उन्होंने तभी जवाबी हमला किया जब आर्मीनिया लोगों ने अजरबैजान के लोगों को मार डाला। यह भी दावा किया गया कि उन्होंने आर्मीनिया के आतंकियो को पकड़ लिया है। वहीं, आर्मीनिया ने दावा किया है कि अजरबैजान ने शांति भंग की है। इससे पहले 2016 में दोनों देशों के बीच भीषण युद्ध हुआ था जिसमें लगभग 200 लोगों की मौत हो गई थी।
कई देश प्रभावित हो सकते हैं
अगर यह युद्ध लंबे समय तक चला तो कई देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस क्षेत्र से गैस और तेल पाइपलाइनें गुजरती हैं। इन पाइपलाइन के माध्यम से रूस और तुर्की को तेल की आपूर्ति होती है। इसमें मुख्य रूप से बाकू-त्बिलिसी-सेहान तेल पाइपलाइन, पश्चिमी मार्ग निर्यात तेल पाइपलाइन, ट्रांस एनाटोलियन गैस पाइपलाइन और दक्षिण काकेशस गैस पाइपलाइन शामिल हैं। अजरबैजान में तुर्कों की बड़ी आबादी है। यही कारण है कि तुर्की इसे एक मित्र देश मानता है। आर्मीनिया के साथ तुर्की के संबंध कभी अच्छे नहीं रहे हैं। जब भी आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच संघर्ष हुआ, तुर्की ने आर्मीनिया के साथ अपनी सीमाओं को बंद कर दिया। विवाद गहराए जाने के बाद तुर्की एक बार फिर आर्मीनिया के खिलाफ खड़ा है। रूस अर्मेनिया के साथ है। रूस के पास यहां एक सैन्य अड्डा भी है। हालांकि, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दोनों देशों से युद्धविराम की अपील की है। साथ ही, तुर्की ने सीधे तौर पर अजरबैजान को इस युद्ध में भाग न लेने की बात दोहराते हुए आगे बढ़ने की सलाह दी है। साथ ही आर्मीनिया से अपील की कि वह पीछे हट जाए।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा- तत्काल युद्ध खत्म हो
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच जारी हिंसक युद्ध को तत्काल प्रभाव से रोकने को कहा है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुटेरस ने कहा कि दोनों देश बिना किसी देरी के तनाव दूर करने के लिए वार्ता करें। सुरक्षा परिषद ने यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन की केंद्रीय भूमिका के लिए पूरा समर्थन जताया। यह संगठन शांतिवार्ता में मध्यस्थता की कोशिश कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र में नाइजर के राजदूत अबदोउ अबारी ने कहा कि दोनों देश तुरंत शांति प्रक्रिया में शामिल हों।
दोनों देशों में मॉर्शल लॉ
आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशनयिन ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि अजरबैजान ने अर्तसख पर मिसाइल से हमला करके रिहायशी इलाकों को नुकसान पहुंचाया है। आर्मीनिया ने जवाबी कारवाई करते हुए अजरबैजान के 2 हेलीकॉप्टर, 3 यूएवी और 2 टैंकों को मार गिराया है। इसके बाद आर्मीनियाई प्रधानमंत्री ने देश में मॉर्शल लॉ लागू कर दिया है। अजरबैजान ने भी देश में आंशिक मॉर्शल लॉ लागू कर दिया है।