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संयुक्त राष्ट्र ने की दुनियाभर से अपील, कोविड-19 से निपटने की कोशिशों में महिलाओं पर मुख्य रूप से ध्यान दें

By भाषा | Updated: April 11, 2020 10:24 IST

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने दुनिभाभर की सरकारों से अपील की कि वे कोविड-19 से निपटने के अपने प्रयासों के केंद्र में महिलाओं एवं लड़कियों को रखें और उन पर विशेष ध्यान दें। उन्होंने आशंका जताई कि लैंगिक समानता और महिला अधिकारों की रक्षा की दिशा में पिछले कई दशकों में जो थोड़ी-बहुत प्रगति हुई, वह इस महामारी के कारण खतरे में है।

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ठळक मुद्देगुतारेस ने कहा कि लॉकडाउन लागू किए जाने और आवागमन पर प्रतिबंध का अर्थ है कि परिवार के लोगों के हाथों हिंसा का शिकार होने वाली महिलाएं उत्पीड़न करने वालों के साथ घर में ऐसे समय में फंस गई हैंगुतारेस की अपील का जवाब देते हुए संयुक्त राष्ट्र के 124 सदस्य देशों एवं पर्यवेक्षकों ने इस बीमारी से निपटने की अपनी योजनाओं में लैंगिक आधार पर हिंसा की रोकथाम पर मुख्य रूप से ध्यान देने की प्रतिबद्धता जताई।

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने दुनिभाभर की सरकारों से अपील की कि वे कोविड-19 से निपटने के अपने प्रयासों के केंद्र में महिलाओं एवं लड़कियों को रखें और उन पर विशेष ध्यान दें। उन्होंने आशंका जताई कि लैंगिक समानता और महिला अधिकारों की रक्षा की दिशा में पिछले कई दशकों में जो थोड़ी-बहुत प्रगति हुई, वह इस महामारी के कारण खतरे में है। गुतारेस ने कहा, ‘‘मैं सरकारों से अपील करता हूं कि वे कोविड-19 उबरने के अपने प्रयासों के केंद्र में महिलाओं और लड़कियों को रखें। इसकी शुरुआत महिलाओं को नेताओं के रूप में सामान प्रतिनिधित्व एवं निर्णय लेने का अधिकार देकर होगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नकद हस्तांतरण से लेकर ऋण देने समेत अर्थव्यवस्था को बचाने और उसे सुधारने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के केंद्र में महिलाओं को रखा जाना चाहिए।’’

यह महामारी ऐसे साल में आई है जब दुनिया महिलाओं के अधिकारों एवं लैंगिक समानता पर कार्रवाई संबंधी ऐतिहासिक बीजिंग मंच की 25वीं वर्षगांठ मना रही है। कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में करीब एक लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 15 लाख लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं। गुतारेस ने कहा, ‘‘अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में दुनिया में करीब 60 प्रतिशत महिलाएं कम कमा रही है, कम बचत कर पा रही हैं और उन पर गरीब होने का अधिक खतरा है। बाजार गिरने और कारोबारों में नुकसान से लाखों महिलाओं की नौकरियां चली गई हैं।’’

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, महिलाएं बिना वेतन के घर-परिवार की देखभाल का जो काम करती हैं, वह भी स्कूल बंद होने और बुजुर्गों को देखभाल की अधिक आवश्यकता होने के कारण बढ़ गया है। गुतारेस ने कहा कि लॉकडाउन लागू किए जाने और आवागमन पर प्रतिबंध का अर्थ है कि परिवार के लोगों के हाथों हिंसा का शिकार होने वाली महिलाएं उत्पीड़न करने वालों के साथ घर में ऐसे समय में फंस गई हैं जब उनकी सहायता करने वाली सेवाएं बाधित हैं और उन तक पहुंच संभव नहीं है। इस बीच, वैश्विक महामारी में बढ़ती घरेलू हिंसा से निपटने की गुतारेस की अपील का जवाब देते हुए संयुक्त राष्ट्र के 124 सदस्य देशों एवं पर्यवेक्षकों ने इस बीमारी से निपटने की अपनी योजनाओं में लैंगिक आधार पर हिंसा की रोकथाम पर मुख्य रूप से ध्यान देने की प्रतिबद्धता जताई।

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