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यूक्रेन संकट: अमेरिका ने रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध लगाया, एक बार फिर 130 डॉलर प्रति बैरल के पार गईं कीमतें

By विशाल कुमार | Updated: March 9, 2022 07:28 IST

यह कार्रवाई यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की द्वारा अमेरिका और पश्चिमी देशों के अधिकारियों से आयात में कटौती करने की अपील करने के बाद हुई है।  रूस के वित्तीय क्षेत्र पर गंभीर प्रतिबंधों के बावजूद तेल निर्यात ने वहां नकदी प्रवाह को स्थिर बनाए रखा है।

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ठळक मुद्देयूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की अपील करने के बाद कार्रवाई हुई है।जो बाइडन ने कहा कि उन्होंने कहा कि अमेरिकियों को बढ़ती कीमतों का सामना करना होगा।इस फैसले के बाद बुधवार को कीमतें तेजी से बढ़ते हुए 130 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गई हैं। 

वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन पर रूस के हमले के जवाब में उसकी अर्थव्यवस्था को और कमजोर करने के इरादे से मंगलवार को घोषणा की कि अमेरिका, रूस से सभी तेल आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि इससे अमेरिकियों, विशेष रूप से गैस पंप पर लागत बढ़ जाएगी। 

यह कार्रवाई यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की द्वारा अमेरिका और पश्चिमी देशों के अधिकारियों से आयात में कटौती करने की अपील करने के बाद हुई है।  रूस के वित्तीय क्षेत्र पर गंभीर प्रतिबंधों के बावजूद तेल निर्यात ने वहां नकदी प्रवाह को स्थिर बनाए रखा है। 

बाइडन ने घोषणा की, ‘‘हम पुतिन के युद्ध को ‘सब्सिडी’ देने का हिस्सा नहीं होंगे।’’ उन्होंने नयी कार्रवाई को इस जारी युद्ध के लिए रूस को धन जुटाने के खिलाफ एक ‘‘जोरदार झटका’’ बताया। 

उन्होंने कहा कि अमेरिकियों को बढ़ती कीमतों का सामना करना होगा, स्वतंत्रता की रक्षा करना महंगा पड़ जाएगा। बाइडन ने कहा कि अमेरिका यूरोपीय सहयोगियों के साथ परामर्श में काम कर रहा है, जो रूसी ऊर्जा आपूर्ति पर अधिक निर्भर हैं।

उल्लेखनीय है कि यूरोपीय देश काफी हद तक ऊर्जा आपूर्ति के लिए रूस पर निर्भर हैं। यूरोप अपनी खपत की करीब एक-तिहाई प्राकृतिक गैस रूस से लेता है।

सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 139 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने के बाद मंगलवार को 125 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं। लेकिन अमेरिका के इस फैसले के बाद बुधवार को कीमतें एक बार फिर तेजी से बढ़ते हुए 130 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गई हैं। 

यह कीमत साल 2008 में आई वैश्विक मंदी के बाद सबसे अधिक है जब जुलाई, 2008 में कीमतें 147.5 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई थीं।

इससे पहले रूस के उप प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने चेतावनी दी थी कि रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध के विनाशकारी परिणाम होंगे और कच्चे तेल की कीमतें 300 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकती हैं।

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