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युगांडा की राजधानी कम्पाला में दो विस्फोट, 24 घायल

By भाषा | Updated: November 16, 2021 18:54 IST

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कंपाला, 16 नवंबर (एपी) युगांडा की राजधानी कंपाला में मंगलवार सुबह दो धमाकेदार विस्फोट हुए, जिसके चलते अफरा-तफरी मच गई और लोग इधर-उधर भागते दिखे। इन विस्फोटों को समन्वित हमला माना जा रहा है।

प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि इनमें से एक विस्फोट एक थाने के पास हुआ तथा दूसरा धमाका संसद भवन के पास सड़क किनारे हुआ। संसद के पास हुआ विस्फोट संभवत: उस इमारत को निशाना बनाकर किया गया था, जिसमें एक बीमा कंपनी का कार्यालय है। विस्फोट के चलते वहां खड़े वाहनों में आग लग गई। राष्ट्रीय प्रसारक यूबीसी के अनुसार, कुछ सांसद पास के संसद भवन परिसर को खाली करते दिखे।

स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता इमैनुएल ऐनेब्यूना ने ट्वीट करके कहा कि विस्फोटों में घायल हुए कम से कम 24 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनमें से चार गंभीर रूप से घायल हैं।

प्रत्यक्षदर्शी की ओर से अपलोड किये गये वीडियो में पुलिस स्टेशन के पास विस्फोट स्थल से सफेद धुएं का गुबार दिखाई दे रहा है। पुलिस ने इस बारे में तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की है और यह स्पष्ट नहीं है कि विस्फोट बम से किए गए या किसी और तरीके से। हताहतों के बारे में भी अभी कुछ नहीं कहा गया है।

युगांडा के अधिकारी हाल के सप्ताहों में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के मद्देनजर लोगों से सतर्कता बरतने का आग्रह करते रहे हैं।

कम्पाला में 23 अक्टूबर को एक रेस्तरां में हुए विस्फोट में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कम से कम सात घायल हो गए थे।

पुलिस के अनुसार, उसके दो दिन बाद एक यात्री बस में हुए विस्फोट में आत्मघाती हमलावर मारा गया था।

मध्य अफ्रीका में इस्लामिक स्टेट समूह से संबद्ध ‘एलाइड डेमोक्रेटिक फोर्सेज’ ने रेस्तरां में हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी।

वह समूह लंबे समय से राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी के शासन का विरोध करता रहा है, जो चरमपंथी समूह अल-शबाब से संघीय सरकार की रक्षा के लिए सोमालिया में शांति सैनिकों को तैनात करने वाले पहले अफ्रीकी नेता हैं।

सोमालिया में युगांडा द्वारा शांति सैनिकों की तैनाती के प्रतिशोध में, इस समूह ने 2010 में हमले किए थे, जिसमें कम से कम 70 लोग मारे गए थे, जो विश्व कप फुटबॉल मैच देखने के लिए कम्पाला में सार्वजनिक स्थलों पर इकट्ठे हुए थे।

लेकिन एलाइड डेमोक्रेटिक फोर्सेस, अपनी स्थानीय जड़ों के साथ, मुसेवेनी के लिए अधिक सिरदर्द साबित हुई है।

समूह की स्थापना 1990 के दशक की शुरुआत में युगांडा के मुसलमानों द्वारा की गई थी, जिन्होंने कहा था कि उन्हें मुसेवेनी की नीतियों से अलग-थलग कर दिया गया है। उस समय, विद्रोही समूह ने युगांडा के गांवों के साथ-साथ राजधानी में भी घातक आतंकवादी हमले किये, जिसमें 1998 का ​​​​हमला भी शामिल था, जिसमें कांगो सीमा के पास एक सीमावर्ती शहर में 80 छात्रों का नरसंहार किया गया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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