नई दिल्ली: स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में तुर्की के दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन के दौरान कुरान की की प्रतियां जलाए जाने पर तुर्की के राराष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। अर्दोआन ने कड़े शब्दों में स्वीडन में हुई घटना की निंदा करते हुए इसे ईशनिंदा करार दिया और कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर ऐसे कृत्य का बचाव नहीं किया जा सकता।
रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने कहा, "स्वीडन को अब हमसे ये अपेक्षा नहीं करनी चाहिए कि हम उसकी नेटो में शामिल होने से जुड़ी कोशिशों का समर्थन करेंगे। ये स्पष्ट है कि वो लोग जिन्होंने हमारे देश के दूतावास के सामने पवित्र कुरान का इस तरह से अपमान किया है, वे हमसे अपने आवेदन को लेकर किसी तरह की दया की उम्मीद नहीं कर सकते।"
क्या है मामला
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से ही कई देश यूरोपीय देशों के सैन्य संगठन 'नाटो' की सदस्यता लेने की कोशिश कर रहे हैं। इन देशों में स्वीडन और फिनलैंड जैसे देश भी शामिल हैं। 'नाटो' के नियमों के अनुसार किसी भी देश को इस सैन्य गठबंधन की सदस्यता तभी मिल सकती है जब संगठन के सभी देश राजी हों। तुर्की को स्वीडन के 'नाटो' में शामिल होने पर आपत्ति है और जब स्वीडन ने इस सैन्य संगठन में शामिल होने के लिए आवेदन किया तब तुर्की ने सदस्य के रूप में अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल करते हुए स्वीडन का आवेदन रोक दिया।
तुर्की के इस कदम के बाद से ही स्वीडन में तुर्की और वहां के राष्ट्रपति राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन के विरोध में प्रदर्शन शुरू हो गए। प्रदर्शनकारियों ने राजधानी स्टॉकहोम में तुर्की के दूतावास के बाहर अर्दोआन के विरोध में नारे लगाए और इसी दौरान कुरान की कुछ प्रतियों में भी आग लगा दी गई।
स्वीडन की सरकार ने भी इस विरोध प्रदर्शन की निंदा की है लेकिन कुरान जलाए जाने के बाद अब यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में है। दुनिया भर में कई देशों ने स्टॉकहोम में कुरान की प्रति जलाए जाने की निंदा की है।