लाइव न्यूज़ :

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता में निरंतर जारी असमानता के समाधान की जरूरत: भारत

By भाषा | Updated: November 9, 2021 23:51 IST

Open in App

(योषिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र, नौ नवंबर भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की सदस्यता में लगातार जारी बहिष्करण और असमानता के समाधान की आवश्यकता पर बल दिया और सवाल उठाया कि विकासशील दुनिया की ''अर्थपूर्ण आवाज'' को कब तक नजरंअदाज किया जाएगा। इसके साथ ही भारत ने रेखांकित किया कि शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने के लिए वैश्विक ढांचे में सुधार किए जाने की जरूरत है।

वर्तमान अध्यक्ष मेक्सिको की अगुवाई में सुरक्षा परिषद में ''अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा का पालन: बहिष्करण, असमानता और संघर्ष'' विषय पर आयोजित खुली बहस को संबोधित करते हुए विदेश राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने कहा कि शांति व सुरक्षा बनाए रखने और शांति निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय ढांचे में सुधार की जरूरत है।

सिंह ने कहा, ''सुरक्षा परिषद की सदस्यता में निरंतर बहिष्करण और असमानता का समधान करने की आवश्यकता है।''

भारत वर्तमान में दो साल के कार्यकाल के लिए 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है और यह इस शक्तिशाली वैश्विक निकाय की स्थायी सदस्यता के लिए एक प्रबल दावेदार है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतHardoi Fire: हरदोई में फैक्ट्री में भीषण आग, दमकल की गाड़ियां मौके पर मौजूद

कारोबारसवाल है कि साइबर हमला किया किसने था ?

भारतबाबासाहब ने मंत्री पद छोड़ते ही तुरंत खाली किया था बंगला

भारतWest Bengal: मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी शैली की मस्जिद’ के शिलान्यास को देखते हुए हाई अलर्ट, सुरक्षा कड़ी

भारतIndiGo Crisis: इंडिगो ने 5वें दिन की सैकड़ों उड़ानें की रद्द, दिल्ली-मुंबई समेत कई शहरों में हवाई यात्रा प्रभावित

विश्व अधिक खबरें

विश्वFrance: क्रिसमस इवेंट के दौरान ग्वाडेलोप में हादसा, भीड़ पर चढ़ी कार; 10 की मौत

विश्वपाकिस्तान: सिंध प्रांत में स्कूली छात्राओं पर धर्मांतरण का दबाव बनाने का आरोप, जांच शुरू

विश्वअड़चनों के बीच रूस के साथ संतुलन साधने की कवायद

विश्वलेफ्ट और राइट में उलझा यूरोप किधर जाएगा?

विश्वपाकिस्तान में 1,817 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से सिर्फ़ 37 ही चालू, चिंताजनक आंकड़ें सामने आए