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ताइवान ने दिया चीन को झटका, नया पासपोर्ट जारी करने की योजना, खुद को अलग दिखाने की कोशिश, जानिए मामला

By भाषा | Updated: September 2, 2020 20:16 IST

ताइवान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को नये दस्तावेज की तस्वीर जारी की जिसमें बड़े अक्षरों में अंग्रेजी में प्रमुखता से ‘ताइवान’ लिखा है जबकि छोटे-छोटे शब्दों में ‘चीनी गणराज्य’ लिखा है, जो ताइवान के संविधान के अनुसार उसका आधिकारिक नाम है।

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ठळक मुद्देचार साल के बाद चीनी गृहयुद्ध में माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा चीन पर कब्जा करने के बाद चियांग काई शेक ने चीनी गणराज्य को ताइवान में स्थापित किया। चीन, ताइवान के पासपोर्ट को मान्यता नहीं देता और मुख्यभूमि पर आने के लिए चीन द्वारा जारी दस्तावेज की जरूरत होती है।ताइवान के विदेशमंत्री जोसफ वु ने पत्रकारों से कहा कि यह दस्तावेज जनवरी से प्रभावी होगा। इसका उद्देश्य ताइवान और चीन से आने यात्रियों में भ्रम दूर करना है।

ताइपेः ताइवान अपनी स्वतंत्र पहचान स्थापित करने के लिए नया पासपोर्ट जारी करने की योजना है जिसमें वह चीनी गणराज्य की जगह ताइवान पर जोर देगा।

ताइवान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को नये दस्तावेज की तस्वीर जारी की जिसमें बड़े अक्षरों में अंग्रेजी में प्रमुखता से ‘ताइवान’ लिखा है जबकि छोटे-छोटे शब्दों में ‘चीनी गणराज्य’ लिखा है, जो ताइवान के संविधान के अनुसार उसका आधिकारिक नाम है।

जापान ने वर्ष 1945 में ताइवान को चीन के हवाले किया था। चार साल के बाद चीनी गृहयुद्ध में माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा चीन पर कब्जा करने के बाद चियांग काई शेक ने चीनी गणराज्य को ताइवान में स्थापित किया।

उल्लेखनीय है कि चीन, ताइवान के पासपोर्ट को मान्यता नहीं देता और मुख्यभूमि पर आने के लिए चीन द्वारा जारी दस्तावेज की जरूरत होती है। ताइवान के विदेशमंत्री जोसफ वु ने पत्रकारों से कहा कि यह दस्तावेज जनवरी से प्रभावी होगा। इसका उद्देश्य ताइवान और चीन से आने यात्रियों में भ्रम दूर करना है।

चीन की आलोचना के बावजूद चेक गणराज्य का प्रतिनिधिमंडल ताइवान पहुंचा

चेक गणराज्य की सीनेट के अध्यक्ष ने ताइवान में आर्थिक मंच पर कहा कि स्वतंत्रता और लोकतंत्र समृद्धि का आधार है। वहीं, चीन द्वारा इस यात्रा की कड़ी आलोचना के बावजूद दोनों पक्षों ने उच्च प्रौद्योगिकी उत्पादन और पर्यावरण प्रबंधन को लेकर समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

उल्लेखनीय है कि सीनेट अध्यक्ष मिलोस विस्टरसिल मध्य यूरोपीय देश चेक गणराज्य के 89 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं जिनमें राजनीति, कारोबार, कला और शिक्षा क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल हैं और इस यात्रा का मकसद संपर्क को बढ़ाना है।

ताइवान इस तरह के आदान-प्रदान पर निर्भर है क्योंकि चीन की कोशिश स्व शासित ताइवान को अलग-थलग करने की है क्योंकि वह इसे अपना हिस्सा मानता है और जरूरत पड़ने पर सैन्य कार्रवाई कर उसपर कब्जा करने की धमकी देता है।

अन्य 15 देशों की तरह चेक गणराज्य का ताइवान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं है लेकिन दोनों देशों के बीच अनौपचारिक संपर्क है। चीन ने पिछले हफ्ते विस्टरसिल की यात्रा की निंदा करते हुए कहा कि इससे प्राग और बीजिंग के संबंधों के राजनीतिक आधार को कमजोर किया जा रहा है। हालांकि, अबतक उसने यह संकेत नहीं दिया है कि वह इसका जवाब कैसे देगा।

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