न्यूयॉर्कः अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जॉन बोल्टन ने कहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को रूस से दूर करने के पश्चिमी देशों के दशकों के प्रयासों को ‘‘ध्वस्त’’ कर दिया है। बोल्टन ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति की टैरिफ (शुल्क) नीतियों और हाल ही में भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष को समाप्त करने के दावों ने स्थिति को और खराब कर दिया है। उन्होंने सोमवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘पश्चिमी देशों ने दशकों तक, शीत युद्ध के दौर में (पूर्व) सोवियत संघ के साथ रहे भारत के जुड़ाव को कमतर करने की कोशिश की, और चीन से उत्पन्न खतरे के प्रति भी भारत को आगाह किया।
डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी विनाशकारी टैरिफ नीति से दशकों के प्रयासों को ध्वस्त कर दिया है।’’ स्काई न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में, बोल्टन ने विस्तार से बताया कि पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका ने, दशकों से भारत को रूस से दूर करने की कोशिश की है, उनसे अत्याधुनिक हथियार खरीदे हैं और चीन से उत्पन्न खतरे के प्रति नयी दिल्ली को आगाह किया है।
जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने ‘क्वाड’ समूह भी बनाया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत को इन देशों के साथ सहयोग के लिए और अधिक अनुकूल बनाने की खातिर काफी प्रयास किए गए। पिछले कुछ हफ्तों में डोनाल्ड ट्रंप ने इस प्रयास को पूरी तरह से उलट दिया है और अब कई कारणों से भारत को रूस की ओर वापस भेज दिया है ताकि वह चीन के साथ नजदीकी बढ़ा सके।
दशकों से किए जा रहे प्रयासों को व्यर्थ कर दे।’’ पूर्व एनएसए ने जोर देकर कहा कि हालांकि स्थिति को सुधारा जा सकता है, लेकिन इसके लिए काफी काम करने की जरूरत होगी, जो उन्हें निकट भविष्य में होता नहीं दिख रहा। बोल्टन ने कहा कि ट्रंप ने कई ऐसे काम किए हैं जिनसे भारतीयों ने बुनियादी टैरिफ पर नाराजगी जताई है।
उन्होंने कहा कि व्यापक स्तर पर ये आर्थिक घटनाक्रम सभी के लिए एक ‘‘आपदा’’ है। उन्होंने कहा कि भारत को लगा था कि वह वाशिंगटन के साथ विवाद सुलझाने के करीब है, लेकिन उस पर 25 प्रतिशत शुल्क लगा दिया गया। इसके बाद ट्रंप ने रूसी तेल और गैस खरीदने वाले देशों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की अपनी धमकी को जारी रखा।
बोल्टन ने कहा, ‘‘ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत और शुल्क लगा दिया, (लेकिन) रूस पर नहीं, रूसी तेल और गैस के सबसे बड़े खरीदार चीन पर भी शुल्क नहीं लगाया।’’ ट्रंप के लंबे समय से आलोचक रहे बोल्टन ने कहा, ‘‘और फिर, इसे और बदतर बनाने के लिए, जब कश्मीर में आतंकवादी हमले को लेकर पाकिस्तान और भारत के बीच हाल ही में तनाव बढ़ा...
ट्रंप ने इसका पूरा श्रेय लिया क्योंकि यह उन छह या सात युद्धों में से एक था, जिन्हें उन्होंने इस साल रोककर नोबेल शांति पुरस्कार की दौड़ में शामिल किया।’’ दस मई को जब ट्रंप ने सोशल मीडिया पर घोषणा की कि वाशिंगटन की मध्यस्थता में हुई बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान ‘‘पूर्ण और तत्काल’’ संघर्ष विराम के लिए सहमत हो गए हैं, तब से उन्होंने 40 से अधिक बार अपना यह दावा दोहराया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव घटाने में मदद की है।
भारत लगातार यह कहता रहा है कि पाकिस्तान के साथ शत्रुता समाप्त करने पर सहमति दोनों सेनाओं के सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच सीधी बातचीत के बाद बनी थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में कहा था कि किसी भी देश के नेता ने भारत से ऑपरेशन सिंदूर रोकने के लिए नहीं कहा था।