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कर्ज में डूबा पाकिस्तान फिर चीन से चाहता है 2.7 अरब डॉलर का लोन, ब्याज दर पर फंसी है बात! जानिए पूरा मामला

By विनीत कुमार | Updated: November 15, 2020 11:04 IST

पाकिस्तान की हालत पहले ही कर्ज के कारण खराब है। देश की अर्थव्यवस्था भी कंगाली के दौर से गुजर रही है। इस बीच पाकिस्तान ने एक बार फिर चीन से कर्ज लेने का फैसला किया है।

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ठळक मुद्दे पाकिस्तान चीन से शुरुआती तौर पर 6.1 अरब डॉलर की फंडिंग में से 2.73 अरब डॉलर के कर्ज की मांग करेगाCPEC के मेनलॉइन-1 प्रोजेक्ट के पैकेज-I के लिए कर्ज लेगा पाकिस्तान, अगले हफ्ते चीन को भेजा जाएगा औपचारिक पत्र

पहले ही कर्ज से दबे और बदहाल पाकिस्तान ने एक बार फिर चीन से 2.7 अरब डॉलर कर्ज लेने का फैसला किया है। पाकिस्तान ये कर्ज चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के मेनलॉइन-1 प्रोजेक्ट के पैकेज-I के लिए लेगा।

पाकिस्तान के 'द ट्रिब्यून' अखबार ने सरकारी अधकारियों के हवाले से बताया है कि एमएल-1 प्रोजेक्ट पर आर्थिक समिति की छठी बैठक के बाद कर्ज लेने का फैसला लिया गया। इस प्रोजेक्ट में पेशावर और कराची के बीच 1872 किलोमीटर रेलवे लाइन के दोहरीकरण और इसे अपग्रेड करने की योजना शामिल है।

पाकिस्तान की ओर से ये फैसला उस समय किया गया है जब देश की अर्थव्यवस्था कंगाली और दिवालिया होने के दौर से गुजर रही है। कोविड-19 महामारी ने परिस्थिति को पाकिस्तान के लिए और मुश्किल बना दिया है।

एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय को अगले हफ्ते चीन को कर्ज संबंधी औपचारिक पत्र भेजने का निर्देश दे दिया गया है। दरअसल बीजिंग इस महीने के आखिर तक अगले साल के वित्तीय योजना को फाइनल कर सकता है। इसलिए पाकिस्तान की ओर से कर्ज का अनुरोध जल्द ही भेज दिया जाएगा।

कर्ज पर ब्याज दर को लेकर अटकी है बात

पाकिस्तानी अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया, 'इस साल अप्रैल में पाकिस्तान ने चीन से एक फीसदी की ब्याज पर कर्ज के लिए अनुरोध किया था। हालांकि, चीन की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया पाकिस्तान को नहीं दी गई। उन्होंने बताया कि अनौपचारिक रूप से चीनी अधिकारियों की ओर से ये बताया गया है कि लोन पर ब्याज दर 1 प्रतिशत से अधिक रह सकता है।'

मई में अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने 'द डिप्लोमैट' के एक लेख में लिखा था कि चीन के साथ रणनीतिक संबंधों को बनाए रखने की पाकिस्तान की चाहत में सीपीईसी के तहत 62 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक का निर्माण हो चुका है। इसमें बुनियादी ढांचों से जुड़ी परियोजनाएं भी शामिल हैं लेकिन साथ ही अपर्याप्त पारदर्शिता भी रही है।

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