पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड ने दी पद्मावत को हरी झंडी, बगैर किसी कट के होगी पूरे पाक में रिलीज
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: January 25, 2018 13:03 IST2018-01-25T12:51:12+5:302018-01-25T13:03:42+5:30
संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत भारत में 25 जनवरी को पूरे देश में रिलीज हुई है।

पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड ने दी पद्मावत को हरी झंडी, बगैर किसी कट के होगी पूरे पाक में रिलीज
पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड ने संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत को हरी झंडी दे दी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाक सेंसर ने फिल्म को बगैर किसी कट के रिलीज किए जाने की मंजूरी दी है। हालांकि पाकिस्तान में भी ये फिल्म "पद्मावत" के नाम से ही रिलीज होगी। भारत के केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने फिल्म का नाम पद्मावती से बदलकर पद्मावत करने के लिए कहा था। भारतीय सेंसर बोर्ड ने फिल्म में छह जगहों पर बदलाव करने के लिए भी कहा था जिसके बाद इसे "यू/ए" प्रमाणपत्र दिया गया। फिल्म में दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर, रणवीर सिंह, अदिति राव हैदरी और रजा मुराद मुख्य भूमिका में हैं।
पिछले कुछ दिनों से पद्मावत को लेकर पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। बुधवार (24 जनवरी) को हरियाणा, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में पद्मावत के विरोधियों ने हिंसा की। गुरुवार (25 जनवरी) को भी देश के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। राजस्थान का संगठन राजपूत करणी सेना फिल्म का विरोध कर रहा है। संगठन का आरोप है कि फिल्म में पद्मावती का अपमान किया गया है। संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत मध्यकालीन महाकाव्य पद्मावत पर आधारित है। मलिक मोहम्मद जायसी के लिखे महाकाव्य पद्मावत में चित्तौड़ के राजा रतन सिंह, उनकी पत्नी रानी पद्मावती और दिल्ली के सुल्तान अल्लाउद्दीन खिलजी की कहानी है।
फिल्म में खिलजी रानी पद्मावती को पाने के लिए चित्तौड़ पर चढ़ाई कर देता है। खिलजी चित्तौड़ का सुरक्षा घेरा तोड़ नहीं पाता है तो वो धोखे से राणा रतन सिंह को गिरफ्तार करके दिल्ली ले आता है। रानी पद्मावती अपने दो बहादुर सिपहसालारों गोरा और बादल के साथ दिल्ली जाकर रतन सिंह को आजाद कराया। खिलजी इस अपमान से आहत होकर दोबारा चित्तौड़ पर हमला कर दिया। दोनों सेनाओं के बीच भीषण युद्ध होता है। रतन सिंह बहादुरी से लड़ते हुए युद्ध में मारा जाता है। खिलजी महल में पहुंच कर रानी पद्मावती को हासिल कर सके इससे पहले ही वो अपने साथियों के साथ जौहर करके प्राण त्याग देती है।
समीक्षकों के अनुसार फिल्म में राजपूतों की वीरता और पराक्रम की काफी तारीफ की गयी है। समीक्षकों के अनुसार फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है जिसका करणी सेना आरोप लगा रही है।