फ्रांस ने भारतीय लोक सभा में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा शुक्रवार (20 जुलाई) को दिए गये बयान का खण्डन किया है। फ्रांस की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि फ्रांस से खरीदे जाने वाले राफेल एयरक्राफ्ट से जुड़ी डील गोपनीय है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने बयान में कहा था कि फ्रांस के राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान उन्होंने पूछा था कि क्या राफेल सौदे के साथ गोपनीयता की भी शर्त है तो उन्होंने ऐसे किसी शर्त के होने से इनकार किया था।
राहुल गांधी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा कि राफेल सौदा कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के दौरान शुरू हुआ था। सीतारमन ने लोक सभा में कहा कि यूपीए सरकार के दौरान रक्षा मंत्री रहे एके एंटनी ने ही फ्रांस के साथ गोपनीयता का समझौता किया था।
फ्रांस ने अपने बयान में कहा है, "हमने भारतीय संसद में श्री राहुल गांधी के बयान का संज्ञान लिया है। भारत और फ्रांस ने साल 2008 में सुरक्षा समझौता किया था जो दोनों देशों पर लागू होता है। इस समझौते के तहत दोनों देशों को एक-दूसरे को दी गयी गोपनीय जानकारी को गुप्त रखना कानूनी रूप से बाध्यकारी है।"
फ्रांस की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि "राफेल सौदे से जुड़ी सार्वजनिक होने से भारत और फ्रांस के रक्षा आयुध के प्रदर्शन और सुरक्षा को खतरा हो सकता है। गोपनीयता की शर्त नैसर्गिक रूप से 23 सितंबर 2016 को 36 राफेल एयरक्राफ्ट और उसके आयुध खरीदने से जुड़े सौदे पर लागू होते हैं। "
फ्रांस ने राहुल गांधी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "जैसा कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने इंडिया टुडे को मार्च 2018 में दिए इंटरव्यू में संकेत दिया था कि यह सौदा काफी संवेदनशील है इसलिए फ्रांस इससे जुड़ी सारी जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकता।"
राफेल एयरक्राफ्ट के सौदे को लेकर कांग्रेस बीजेपी सरकार पर घोटाले का आरोप लगाती रही है। शुक्रवार को भी राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि पीएम नरेंद्र मोदी ने जादू करके राफेल विमानों की कीमत बढ़ा दी। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने यूपीए सरकार के दौरान तय की गयी कीमत से काफी ज्यादा कीमत पर राफेल विमान खरीदने का समझौता किया है। बीजेपी और मोदी सरकार कांग्रेस को आरोपों को बेबुनियाद बताते रहे हैं।
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