म्यांमार जेल में डेढ़ साल सजा काटने के बाद छूटे रॉयटर्स के पत्रकार ने कहा, 'न्यूज रूम जाने के लिए अब और इंतजार नहीं कर सकता'
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 7, 2019 12:48 IST2019-05-07T12:48:50+5:302019-05-07T12:48:50+5:30
रॉयटर्स के दोनों पत्रकारों वा लोन और क्याव सो ओ सितंबर 2017 में दोषी ठहराया गया था और सात साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।सितंबर 2017 में गिरफ्तारी के पहले रॉयटर्स के दोनों पत्रकारों ने रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ सेना के अत्याचार के खिलाफ रिपोर्टिंग की थी।

रॉयटर्स के दो पत्रकार वा लोन (33) और क्याव सो ओ (29)
म्यांमार की जेल में 500 से भी ज्यादा दिन बिताने के बाद बाहर निकले रॉयटर्स के दो पत्रकार वा लोन (33) और क्याव सो ओ (29) ने खुशी जाहिर की है। रॉयटर्स के दो पत्रकार वा लोन और क्याव सो ओ को सरकारी गोपनीयता कानून को तोड़ने के तहत म्यांमार में सात साल की सजा सुनाई गई थी। रॉयटर्स के दो पत्रकार वा लोन और क्याव सो ओ के साथ म्यांमार की सरकार ने 6250 कैदियों को भी रिहा किया है।
वा लोन ने जेल से निकलते ही मीडिया से कहा है, मैं एक पत्रकार हूं और मैं आगे भी पत्रकार ही बना रहूंगा। मैं जल्द से जल्द अपने न्यूज रूम में काम करने के लिए जाना चाहता हूं...मैं इसके लिए पल भर का भी इंतजार नहीं कर सकता हूं।''
रॉयटर्स के एडिटर चीफ स्टीफन जे. एडलर ने बताया है कि काफी मुश्किलों के बाद आखिरकर म्यांमार सरकार ने हमारे दो साहसिक पत्रकार को रिहा कर दिया है।
Wa Lone and Kyaw Soe Oo, Reuters reporters who were jailed in Myanmar, were freed from prison after more than 500 days, earlier today (Picture source: Reuters) pic.twitter.com/SMgob979pt
— ANI (@ANI) May 7, 2019
रॉयटर्स के एडिटर चीफ स्टीफन जे. एडलर ने यह भी बोला, ''गिरफ्तारी के बाद 511 दिन वो जेल में रहे। पूरी दुनिया में वो प्रेस की आदाजी के तौर पर जाने जाएंगे। मैं उनका दिल से स्वागत करता हूं।''
Myanmar frees Reuters scribes from jail; Can't wait to go to my newsroom, says one
— ANI Digital (@ani_digital) May 7, 2019
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रॉयटर्स के दोनों पत्रकारों वा लोन और क्याव सो ओ सितंबर 2017 में दोषी ठहराया गया था और सात साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। म्यांमार के राष्ट्रपति विन मिंट ने अप्रैल में जानकारी देते हुए कहा थि बौद्ध नव वर्ष त्यौहार तिंगयान के दौरान मानवीय आधार पर माफी दी गयी है। जिसके तहत 16 विदेशी कैदियों को माफी देने और वापस भेजने की संभावना है। लेकिन इसमें रॉयटर्स के दोनों पत्रकारों का नाम नहीं था। रॉयटर्स ने दावा किया था कि दोनों पत्रकारों ने कोई अपराध नहीं किया था और अपनी रिहाई के लिए बुलाया था।
सितंबर 2017 में गिरफ्तारी के पहले रॉयटर्स के दोनों पत्रकारों ने रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ सेना के अत्याचार के खिलाफ रिपोर्टिंग की थी। वा लोन और क्याव सो ओ अगस्त 2017 में शुरू हुए एक सेना के हमले के दौरान पश्चिमी म्यांमार के रखाइन प्रांत में सुरक्षा बलों और बौद्ध नागरिकों द्वारा 10 रोहिंग्या मुस्लिम पुरुषों और लड़कों की हत्या की जांच पर काम कर रहे थे। म्यांमार सरकार की पत्रकारों की गिरफ्तारी पर खूब आलोचना की गई थी। म्यांमार के लोकतंत्र की ओर कदमों पर कई सवाल भी खड़े किए गए थे।