नई दिल्ली: मालदीव में तैनात 76 भारतीय सैन्यकर्मियों की वापसी हो गई है। ये सैन्यकर्मी भारत द्वारा उपहार में दिए गए दो हेलीकॉप्टर और एक डोर्नियर विमान का संचालन करने के लिए मॉलदीव में तैनात थे। अब इन्हें वापस भेजकर मालदीव खुद मुसीबत में फंस गया है। मालदीव के मंत्री घासन मौमून ने स्वीकार किया है कि उनकी सेना में एक भी पायलट ऐसा नहीं है जो भारत द्वारा दिए गए विमानों को उड़ा सके।
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के आदेश पर 76 भारतीय रक्षा कर्मियों को वापस बुलाया गया था। ये भारतीय सैनिक मालदीव के सैनिकों को विमान और हेलीकॉप्टर उड़ाने की ट्रेनिंग दे रहे थे लेकिन कई कारणों से ये अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाया। अब चीन समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की नीतियों का बुरा असर उनके ही देश पर पड़ने लगा है। हेलीकॉप्टर और एक डोर्नियर विमान मालदीव में आपात परिस्थियों से निपटने और निगरानी के काम में आते थे।
मोहम्मद मुइज्जू ने अपना पूरा चुनावी कैंपेन भारत विरोध के नाम पर किया था। जीत कर सत्ता में आते ही उन्होंने सबसे पहला काम मालदीव में तैनात 76 भारतीय सैन्यकर्मियों को वापस भेजने का आदेश देने का किया। चीन समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की नवंबर में उनके पदभार संभालने के कुछ घंटों के भीतर ही ये आदेश दिया गया। नयी दिल्ली में फरवरी में दोनों देशों के बीच एक समझौते के बाद निर्धारित 10 मई की समयसीमा के अनुसार, मालदीव में हेलीकॉप्टर और डोर्नियर विमान के दो मंचों के संचालन के लिए तैनात भारतीय सैन्यकर्मियों को शुक्रवार तक वापस भेज दिया गया।
अब 76 भारतीय सैन्यकर्मियों की जगह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के असैन्य कर्मचारियों ने ले ली है। भारत से आया असैनिक चालक दल भी 2026 में देश से जाएगा। अब मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (एमएनडीएफ) के पास मालदीव का कोई सैन्यकर्मी नहीं है जो भारतीय सेना द्वारा दान में दिए गए तीन विमानों को संचालित कर सके। हालांकि मालदीव सरकार का सेनहिया सैन्य अस्पताल में तैनात भारत के डॉक्टरों को हटाने का कोई इरादा नहीं है।