मलेशिया: कोर्ट ने कहा, 'इस्लाम त्यागने का मामला शरीया कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है, दीवानी कोर्ट के नहीं'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 15, 2022 04:02 PM2022-07-15T16:02:21+5:302022-07-15T16:07:30+5:30

मलेशिया में इस्लाम त्यागने के एक मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि दीवानी अदालत के अधिकार क्षेत्र में इस्लाम को त्यागने वाले मुकदमों को सुनने का कोई आधार नहीं है क्योंकि ऐसे मामले शरिया अदालत के अंतर्गत आते हैं।

Malaysia: Court said, the matter of renouncing Islam comes under the jurisdiction of the Shariat Court, not the Civil Court | मलेशिया: कोर्ट ने कहा, 'इस्लाम त्यागने का मामला शरीया कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है, दीवानी कोर्ट के नहीं'

मलेशिया: कोर्ट ने कहा, 'इस्लाम त्यागने का मामला शरीया कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है, दीवानी कोर्ट के नहीं'

Highlightsमलेशिया की कोर्ट ने कहा कि दीवानी अदालतों इस्लाम त्यागने वाले केस की सुनवाई नहीं कर सकती हैंधर्मांतरण के मामलों में किसी भी दीवानी अदालत को आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है ऐसे मामले सीधे शरिया कोर्ट के अधीन आते हैं और इनकी सुनवाई उन्हीं के अधिकार क्षेत्र में आता है

कुआलालंपुर:मलेशिया की हाईकोर्ट ने कहा कि उसकी दीवानी अदालत के अधिकार क्षेत्र में इस्लाम को त्यागने वाले मुकदमों को सुनने का कोई आधार नहीं है क्योंकि ऐसे मामले शरिया अदालत के अंतर्गत आते हैं।

इस्लाम त्यागने के एक केस की सुनवाई करते हुए जस्टिस दातुक अहमद कमाल मोहम्मद शाहिद ने यह आदेश उस मामले को खारिज करते हुए दिया, जिसमें इस्लाम धर्म को त्यागकर बौद्ध धर्म अपनाने वाली एक 32 साल की महिला ने महिला द्वारा दायर की गी थी। जज शाहिद ने यह फैसला 15 जून को ईमेल के माध्यम से फैसला सुनाया।

मीडिया में आज जारी हुए जज अहमद कमाल ने अपने आदेश में कहा कि पिछले कई दशकों में देश की विभिन्न अदालतों ने संघीय संविधान के अनुच्छेद 121 (1 ए) के प्रावधान के तहत कई कानूनी मिसालें पेश की हैं, जिसमें कहा गया है कि धर्मांतरण के मामलों में किसी भी दीवानी अदालतों का कोई न तो कोई अधिकार क्षेत्र होगा और न ही वो इस संबंध में हस्तक्षेप करेंगी। इस तरह से मामले सीधे शरिया कोर्ट के अधीन आते हैं और इनकी सुनवाई उन कोर्ट के अधिकार क्षेत्र के भीतर होगी।

इसलिए उन्होंने संविधान के प्रावधान को ध्यान में रखते हुए महिला द्वारा शरीयत अदालत के फैसले के खिलाफ न्यायिक समीक्षा के उस आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें शरीयत कोर्ट ने उसके इस्लाम त्यागने के अनुरोध को खारिज कर।

इसके साथ ही जस्टिस शाहिद ने फैसले में यह भी कहा कि शरिया अदालत ने महिला के आवेदन को रद्द करके कुछ भी गलत नहीं किया है और उनका आदेश पूरी तरह से अवैध और कानून के अनुरूप है।

उन्होंने कहा, "मेरे लिए, यह मायने नहीं रखता है कि महिला के खिलाफ शरिया कोर्ट ने क्या निर्णय लिया बल्कि मेरी नजर में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि दीवानी अदालतों के पास शरिया अदालतों के अधिकार क्षेत्र में मामलों की सुनवाई करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है और न ही दीवानी अदालतों के पास शरिया अदालत के फैसले की समीक्षा करने का अधिकार है।”

हाईकोर्ट में शरिया कोर्ट के फैसले के खिलाफ समीक्षा दायर करने वाली महिला आवेदक एक मुस्लिम धर्मांतरित पिता और एक मुस्लिम मां की संतान है, कोर्ट ने उसका नाम सार्वजनिक नहीं किया है।

जानकारी के मुताबिक महिला ने बीते 4 मार्च को हाईकोर्ट में शरिया कोर्ट के फैसले के खिलाफ न्यायिक समीक्षा के लिए याचिका दायर की थी। जिसमें उसने शरिया कोर्ट ऑफ अपील, शरिया हाईकोर्ट, संघीय क्षेत्र इस्लामी धार्मिक परिषद और मलेशिया की सरकार को कटघरे में खड़ा किया था।

महिला अपने मुकदमे में हाईकोर्ट में शरिया आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि शरिया अदालतों के पास यह घोषित करने का अधिकार या शक्ति नहीं है कि कोई व्यक्ति अब मुस्लिम नहीं है।

वह दीवानी हाईकोर्ट से मांग की थी कि वह अब मुस्लिम नहीं है और अपनी घोषणा के तहत बौद्ध धर्म को मानने के लिए स्वतंत्र है। उसने दीवानी हाईकोर्ट से शरिया हाईकोर्ट और शरिया कोर्ट ऑफ अपील के फैसलों को अवैध घोषित करने की मांग की थी, जिसमें आदेश दिया गया था वो उसका मुस्लिम नहीं होना अवैध और गैरकानूनी है, इसलिए उसकी गैर मुस्लिम होने का मान्यता को खारिज किया जाता है।

Web Title: Malaysia: Court said, the matter of renouncing Islam comes under the jurisdiction of the Shariat Court, not the Civil Court

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे