लाइव न्यूज़ :

इजराइली सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 'वफादारी के उल्लंघन' पर छीनी जा सकती है नागरिकता

By रुस्तम राणा | Updated: July 30, 2022 18:59 IST

कोर्ट का निर्णय इजराइल के फिलिस्तीनी नागरिकों की ओर से अदाला और एसोसिएशन फॉर सिविल राइट्स इन इजराइल (एसीआरआई) द्वारा दायर दो अपीलों के जवाब में दिया गया था, जिन्हें उन हमलों में शामिल होने का दोषी ठहराया गया था।

Open in App
ठळक मुद्दे 'वफादारी के उल्लंघन' में आतंकवाद, जासूसी और देशद्रोह भी शामिल हैअदालत के फैसले को देश के फिलिस्तीनी नागरिकों से जोड़कर देखा जा रहा हैअदाला ने कहा- इजरायल के फिलिस्तीनी नागरिकों को टारगेट किया जाएगा

येरुशलम: इजराइल के सुप्रीम कोर्ट ने बीते गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया है। वहां की शीर्ष अदालत ने एक मामले को लेकर कहा कि, राज्य "वफादारी के उल्लंघन" के आधार पर लोगों की नागरिकता को रद्द कर सकता है। हालांकि जनाधिकार समूहों ने इसकी निंदा है। उनका कहना है कि यह एक खतरनाक और "नाजायज कानून" है। दरअसल, अदालत के फैसले को देश के फिलिस्तीनी नागरिकों से जोड़कर देखा जा रहा है। 'वफादारी के उल्लंघन' में आतंकवाद, जासूसी और देशद्रोह भी शामिल है।  

अदाला, जो कि इजराइल में अरब अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए कानूनी केंद्र है, ने कहा कि कानून का इस्तेमाल संभवतः इजरायल के फिलिस्तीनी नागरिकों को लक्षित करने के लिए किया जाएगा, जो राज्य की आबादी का 20 फीसदी हिस्सा बनाते हैं। 

कोर्ट का निर्णय इजराइल के फिलिस्तीनी नागरिकों की ओर से अदाला और एसोसिएशन फॉर सिविल राइट्स इन इजराइल (एसीआरआई) द्वारा दायर दो अपीलों के जवाब में दिया गया था, जिन्हें उन हमलों में शामिल होने का दोषी ठहराया गया था, जिसके परिणामस्वरूप इजरायली नागरिकों की मौत हुई थी।

हालांकि उनकी सजा के बाद, राज्य ने इजराइल के 2008 के नागरिकता कानून के आधार पर उनकी नागरिकता को रद्द करने के लिए स्थानांतरित कर दिया, जो इजरायल के आंतरिक मंत्रालय को जिला अदालत की मंजूरी के साथ, "वफादारी के उल्लंघन" के आधार पर नागरिकता रद्द करने की अनुमति देता है।

अपने फैसले में अदालत ने कहा कि "व्यवस्था में कोई संवैधानिक दोष नहीं था जो उस व्यक्ति की नागरिकता को रद्द करने की अनुमति देता है जिसने एक ऐसा कार्य किया है जो इजराइल राज्य में वफादारी का उल्लंघन करता है। 

दोषियों की नागरिकता रद्द होने को लेकर शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में यह कहा कि "भले ही नागरिकता के निरसन के परिणामस्वरूप, व्यक्ति स्टेटलेस हो जाता है, बशर्ते कि यदि व्यक्ति स्टेटलेस हो जाता है, तो आंतरिक मंत्री को उसे इजराइल में स्थायी निवास का दर्जा या अन्य निर्दिष्ट स्थिति प्रदान करना चाहिए।"

कोर्ट के फैसले के जवाब में अदाला और एसीआरआई ने एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें कहा गया था, "अदालत का फैसला बहुत खतरनाक है क्योंकि यह इस" वफादारी के उल्लंघन "कानून की संवैधानिकता को भी बरकरार रखता है।"

 

टॅग्स :इजराइलPalestine
Open in App

संबंधित खबरें

विश्वबैंक्सी की करुणा और बड़ों के युद्ध में फंसे बच्चे

विश्वभ्रष्टाचार के मामलों का सामना कर रहे इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने राष्ट्रपति हर्ज़ोग को माफ़ी की अर्ज़ी दी

विश्वआबादी बढ़ाने का ये भी एक नायाब तरीका?

विश्वलेबनान में इजरायल का हमला, फलस्तीनी शरणार्थी शिविर पर गिराए बम; 13 लोगों की मौत

विश्वइजराइल-हमास जंगः गाजा का खून कब तक बहता रहेगा?

विश्व अधिक खबरें

विश्वFrance: क्रिसमस इवेंट के दौरान ग्वाडेलोप में हादसा, भीड़ पर चढ़ी कार; 10 की मौत

विश्वपाकिस्तान: सिंध प्रांत में स्कूली छात्राओं पर धर्मांतरण का दबाव बनाने का आरोप, जांच शुरू

विश्वअड़चनों के बीच रूस के साथ संतुलन साधने की कवायद

विश्वलेफ्ट और राइट में उलझा यूरोप किधर जाएगा?

विश्वपाकिस्तान में 1,817 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से सिर्फ़ 37 ही चालू, चिंताजनक आंकड़ें सामने आए