कार्बन प्रग्रहण प्रौद्योगिकी उद्योगों में कितना जल्द कर सकती है सीओ2 की कमी का समाधान

By भाषा | Updated: September 26, 2021 18:01 IST2021-09-26T18:01:04+5:302021-09-26T18:01:04+5:30

How quickly carbon capture technology can solve CO2 reduction in industries | कार्बन प्रग्रहण प्रौद्योगिकी उद्योगों में कितना जल्द कर सकती है सीओ2 की कमी का समाधान

कार्बन प्रग्रहण प्रौद्योगिकी उद्योगों में कितना जल्द कर सकती है सीओ2 की कमी का समाधान

(पीटर स्टाइरिंग, प्रोफेसर ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग एंड केमिस्ट्री, यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड)

शेफील्ड (ब्रिटेन), 26 सितंबर (द कन्वरसेशन) प्राकृतिक गैस के दामों में हालिया वृद्धि की वजह से ब्रिटेन में उर्वरक बनाने वाले कई संयंत्र बंद हो गए हैं और कई अन्य उद्योगों पर भी विपरीत असर पड़ा है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि अमोनिया उर्वरक नाइट्रोजन और हाइड्रोजन से बनाए जाते हैं, ये प्राकृतिक गैस से टूटकर बनते हैं- यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो कार्बन डाइऑक्साइड को उप-उत्पाद के रूप में देती है। यह वही सीओ2 है जिसे बाद में विभिन्न उद्योगों में कार्बोनेटिंग शीतल पेय से लेकर पशुओं को मृत्यु देने तक में उपयोग किया जाता है। अपने ठोस रूप में, यह कार्डिस के रूप में जाना जाता है, सीओ2 का उपयोग फाइजर के कोविड-19 रोधी टीके सहित तापमान-संवेदनशील दवाओं के परिवहन और भंडारण के लिए भी किया जा सकता है।

सीओ2 की कमी से ब्रिटेन की आपूर्ति श्रृंखला में एक दहशत पैदा हो गई है जिससे मांस, शराब, गैस मिश्रित पेय की कमी से संबंधित खतरा पैदा हो गया है। हालांकि सरकार ने एक उर्वरक संयंत्र को फिर से खोलने के लिए भुगतान किया है, लेकिन सीओ2 खरीदने वाली कंपनियों को सामान्य के मुकाबले पांच गुना अधिक भुगतान करना होगा।

कार्बन प्रग्रहण प्रौद्योगिकी

समस्या यह है कि उद्योग में इस्तेमाल होने वाली सीओ2 ऐसे स्रोतों से आती है जो जटिल आपूर्ति श्रृंखला का एक अच्छी तरह स्थापित हिस्सा है। उर्वरक बनाने की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होने वाली सीओ2 अपेक्षाकृत सस्ती और पृथक होने में आसान है। यदि वह प्रणाली विफल होती है तो कोई तैयार विकल्प नहीं है। इस बीच, पर्यावरण में सीओ2 सांद्रण सभी गैसों का लगभग 420 पीपीएम– 0.0042% है। वायु से सीओ2 को पृथक करना मुश्किल तथा अत्यधिक खर्चीला है।

‘स्रोत बिंदु कार्बन प्रग्रहण प्रौद्योगिकी’ वर्तमान में सर्वश्रेष्ठ विकल्प है और इसमें कारखानों तथा ऊर्जा संयंत्रों की चिमनियों में निकलने वाली गैसों से सीओ2 की स्क्रबिंग शामिल है। यहां सीओ2 उच्चतम मात्रा में निकलती है और इसका सांद्रण पर्यावरण में पाए जाने वाले सांद्रण के मुकाबले हजारों गुना अधिक है।

ऐसी प्रौद्योगिकियों का विकास किया जा रहा है जो कार्बन को ऊर्जा संयंत्रों की चिमनियों या सीधे हवा से संग्रहीत करती हैं, लेकिन वे उतनी मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं जितनी कि जरूरत है। 2005 से कार्बन प्रग्रहण में नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिए ब्रिटेन में दो स्पर्धाएं और भंडारण प्रौद्योगिकी शुरू की गईं तथा क्रमिक सरकारों द्वारा ये बंद कर दी गईं, इनमें से आखिरी 2015 में थी और इनमें ज्यादा सफलता नहीं मिली।

स्कॉटलैंड के सेंट फर्गस में द एकोर्न प्रोजेक्ट सहित कुछ पहल शुरू हुई हैं, जो सीओ2 को प्राकृतिक गैस से अलग करती हैं -जिसका उपयोग हाइड्रोजन बनाने के लिए किया जाता है। इस बीच, ड्रेक्स सी-कैप्चर परियोजना, उत्तरी यॉर्कशायर, इंग्लैंड में एक बायोमास ऊर्जा संयंत्र में उत्सर्जन से सीओ2 को निकालती है। दावा है कि इस परियोजना का उद्देश्य पाइपलाइन के माध्यम से सीओ2 को एक अपतटीय भंडारण स्थल तक पहुंचाकर समय पर कार्बन-तटस्थ बनाना है।

किसी भी नई कार्बन प्रग्रहण तकनीक को आवश्यक पैमाने पर स्थापित करने से पहले आमतौर पर दस साल के अनुसंधान और इंजीनियरिंग की आवश्यकता होती है। सीओ2 का उपयोग करने वाले उद्योगों को तत्काल समाधान की अपेक्षा करने के बजाय, भविष्य में कई वर्षों तक उपलब्ध नई कार्बन प्रग्रहण तकनीक की योजना बनानी चाहिए।

और वर्तमान में कनाडा में बाउंड्री डैम कोयला संचालित बिजली स्टेशन सहित विश्व स्तर पर चयनित स्थानों पर काम कर रहीं कार्बन प्रग्रहण इकाइयों के उद्योगों की सीओ2 आपूर्ति आवश्यकता का समाधान प्रस्तुत करने की संभावना नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे उच्च तापमान पर ग्रीनहाउस गैस को अवशोषित और शुद्ध करने के लिए तरल पदार्थों का उपयोग करते हैं, जो 99% से अधिक शुद्ध सीओ2 का उत्पादन करती हैं, लेकिन इसके लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है और इसलिए यह महंगा है। तरल अधिशोषक उच्च तापमान पर भी विघटित हो जाते हैं, जिससे विषाक्त उपोत्पाद निकल जाते हैं।

ठोस अधिशोषक, जैसे सिलिका या सेल्युलोज पाउडर से बने, अधिक स्थिर होते हैं। कुछ नई प्रणालियाँ सीओ2 को सोखने के लिए उच्च तापमान के बजाय ठोस अवशोषक और उच्च दबाव का उपयोग करती हैं। परिचालन में इनके सबसे सस्ते होने और इनसे पर्यावरण को कम हानि होने की संभावना होती है, जिससे ये उद्योगों के लिए स्थायी सीओ2 स्रोत के लिए एक अच्छा विकल्प बन जाते हैं। साउथ वेल्स में टाटा इस्पात संयंत्र में दबाव आधारित प्रग्रहण सुविधा स्थापित करने की योजना है जो बेकार सीओ2 को प्रग्रहीत करेगी और इसे परिवहन ईंधन में बदल देगी।

भविष्य में कमी को रोकना

अगले 30 साल में उद्योगों को सीधे वायु प्रग्रहण-प्रौद्योगिकी पर विचार करने की आवश्यकता होगी जो सीओ2 के स्रोत के रूप में ग्रीनहाउस गैसों को हवा से बाहर निकालने में सक्षम हों, लेकिन यह उपभोक्ता की कीमत पर होगा। जो उत्पाद सीओ2 के इस्तेमाल वाली प्रक्रियाओं के जरिए बनते हैं जैसे कि कार्बोनेटेड पेय और ताजा एवं पैकबंद खाद्य पदार्थ, उन्हें इन लागत वृद्धि से गुजरना होगा।

प्रग्रहीत की गई सीओ2 को औद्योगिक भंडारों में संग्रहीत किया जाना चाहिए - स्टील टैंक में उसी स्थान पर जहां सीओ2 बिजली संयंत्र से आए या जिस कारखाने में इसका उपयोग किया जा सके, इसे भूमिगत रूप से संग्रहीत नहीं किया जाना चाहिए। औद्योगिक भंडारों को सहायता आपूर्ति के रूप में आसानी से सुलभ होने की आवश्यकता है।

यह पढ़ना आश्चर्यजनक हो सकता है कि जो सीओ2-ग्रीन हाउस गैस हमारी दुनिया का तापमान बढ़ा रही है, वही हमारे कुछ आवश्यक उद्योगों का परिचालन बरकरार रखती है।

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Web Title: How quickly carbon capture technology can solve CO2 reduction in industries

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