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सऊदी अरब आधुनिकता को लगा रहा है गले, ये चार फैसले हैं इसके गवाह

By भारती द्विवेदी | Updated: December 14, 2017 18:30 IST

साल 2015 में मोहम्मद बिन सलमान के क्राउन प्रिंस बनने के बाद से सऊदी अरब में कट्टरपंथी इस्लाम का प्रभाव कम होता दिख रहा है। इस बदलाव का पूरा श्रेय प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को जाता है।

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ठळक मुद्देसितंबर में 87वें स्थापना दिवस पर पहली बार महिलाओं को स्टेडियम में जाने की इजाज़त मिली थीसऊदी के जेद्दा और रियाद शहर में पहली बार कॉमिक कॉन फेस्टिवल और पॉप कंसर्ट का आयोजन हुआ थासऊदी महिलाएं अपनी पहचान पर सरकारी सेवा ले सकती हैं, महिलाओं को इसके लिए मर्दों को गर्जियन बताना पड़ता था

दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मजहब इस्लाम का जन्म जिस देश में हुआ वो आज भी कड़े शरिया कानून की वजह से जाना जाात है। हम बात कर रहे हैं सऊदी अरब की जहाँ इस्लाम के दो प्रमुख केंद्र मक्का और मदीना स्थिति हैं। लेकिन सऊदी अरब भी अब आधुनिकता को अपनाता दिख रहा है। इस इस्लामिक देश में पिछले एक साल में लिए गये ये चार फैसले इसकी तस्दीक करते हैं। साल 2015 में मोहम्मद बिन सलमान के क्राउन प्रिंस बनने के बाद से सऊदी अरब में कट्टरपंथी इस्लाम का प्रभाव कम होता दिख रहा है। इस बदलाव का पूरा श्रेय प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को जाता है। जब से वो प्रिंस बने हैं, तबसे सऊदी अरब में हर कट्टरपंथी चीजों पर लगाम लगा रहे हैं। या कह सकते हैं कि वहां मौलवियों का असर कम पड़ रहा है।

फिल्मों से हटा बैन

सऊदी अरब में फिल्मों पर बैन 1980 के दशक में लगा। कहते हैं ये फैसला कट्टरपंथियों के दबाव में लिया गया था। प्रतिबंध लगने के करीब 35 साल बाद क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इसे हटाने की घोषणा की। कट्टरपंथी सिनेमा को धर्म और संस्कृति के लिए खतरा मानते हैं। सऊदी सूचना मंत्रालय के अनुसार मार्च 2018 में देश में पहला मल्टीप्लेक्स खुलेगा। साल 2030 तक देश में लगभग तीन सौ सिनेमा हॉल होंगे, जिनमें दो हजार से ज्यादा स्क्रीन होंगी। सूचना मंत्री अव्वाद अलाव्वाद ने इस फैसले को सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था के विकास में ऐतिहासिक मोड़ बताया। हाल-फिलहाल सऊदी अरब की फिल्मों को बाहर की दुनिया में काफी तारीफें मिल रही हैं।

महिलाओं की पहली बार मिला ड्राइविंग का हक

सऊदी अरब दुनिया का इकलौता देश है जहाँ महिलाओं को ड्राइविंग की इजाजत नहीं है लेकिन अगले साल जून से यहाँ भी महिलाएं खुद गाड़ियाँ चला सकेंगी। इस अधिकार को पाने के लिए सऊदी महिलाओं को कड़ा और लम्बा संघर्ष करना पड़ा। 1990 में पहली बार कुछ महिलाओं ने सार्वजनिक रूप से गाड़ी चलाकर इस नियम का विरोध किया था। विरोध करने वाली महिलाओं को इसके लिए गिरफ्तार किया गया था। सऊदी महिलाएँ सोशल मीडिया पर साल 2011 से 'वीमेन टू ड्राइव मूवमेंट' अभियान चला रही थीं। छह साल बाद आखिरकार सितंबर 2017 में सऊदी शाह सलमान ने महिलाओं को ड्राइविंग की इजाज़त दे दी। उनका ये आदेश जून 2018 से लागू होगा। 

महिलाएं स्टेडियम में जाकर देख सकेंगी खेल

ड्राइविंग के बाद सरकार की तरफ से महिलाओं को एक और तोहफा मिला अक्टूबर में। जब महिलाओं की पहली बार स्टेडियम में जाने की इजाज़त मिली। सऊदी अरब में अब तक स्टेडियम में जाकर खेल देखने का हक सिर्फ मर्दों के पास था। सऊदी अरब खेल प्राधिकरण ने कहा है कि स्टेडियम में महिलाओं के लिए हर जरूरी इंतजाम किया जाएगा। हालांकि महिलाएं अपनी इस आजादी का लुत्फ भी नये साल में ही ले पाएंगी। 

सोशल मीडिया साइट्स को भी मिल रही है जगह

साल 2011 से सऊदी में इंटरनेट पर सेंसरशिप लगा हुआ था। इस दौरान 4 लाख वेबसाइटों पर रोक लगा दी गई थी। सितंबर में संचार मंत्रालय ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के मक़सद से इस पाबंदी को भी खत्म करने का फैसला लिया। संचार मंत्रालय ने कहा था कि अब यूजर्स वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल का इस्तेमाल कर सकते हैं।

टॅग्स :सऊदी अरबसऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमानवुमन ड्राइविंगबैन ऑफ फीमेल ड्राइवरसऊदी अरब का पहला पहला मल्टीप्लेक्स
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