दिल्ली: कोरोना को लेकर एक राहत की खबर अमेरिका से आ रहा है। एक अमेरिकी रिसर्च के मुताबिक कोरोना का नया वैरिएंट ओमीक्रोन पिछले डेल्टा वैरिएंट से कम घातक है। हालांकि ओमीक्रोन के संक्रमण की रफ्तार काफी तेज है लेकिन उससे संक्रमित व्यक्तियों को अस्पताल में रहने या फिर डॉक्टरों की देखरेख में रहने की आवश्यकता काफी कम है और इससे होने वाली मौतों की दर भी काफी कम है।
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन से मिले डेटा के आधार पर रिसर्च में बताया गया है कि कोविड संक्रमण में तेजी से वृद्धि के बावजूद ओमीक्रोन की लहर में अस्पताल या फिर आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीजों का डेल्टा लहर की तुलना में लगभग 29 फीसदी कम है।
रिसर्च में बताया गया है कि ओमीक्रोन वेव के दौरान यह आंकड़ा इसलिए भी कम रहा क्योंकि लोगों ने कोविड -19 की वैक्सीन लिया था और कुछ जरूरतमंद लोगों को बूस्टर डोज भी लग चुका था। जिसके कारण लोगों के शरीर में जरूरी प्रतिरक्षा विकसित हुई और वो इससे लड़ने में कामयाब रहे।
डेटा के रिसर्च अध्ययन से पता चलता है कि 19 दिसंबर से 15 जनवरी के मध्य हुई मौतों के वक्त जब ओमीक्रोन अपने पीक पर था, तब औसतन 9 मौंते प्रति 1,000 कोविड मामलों में हुईं। वहीं पिछले साल की सर्दियों में 16 मौतें प्रति 1000 संक्रमण के मामलों में दर्ज हुए, जबकि डेल्टा वैरिएंट के पीक समय में 13 मौतें प्रति 1000 दर्ज किया गया।
अध्ययन में बताया गया है कि ओमीक्रोन अवधि के दौरान बच्चे अस्पताल में इसलिए ज्यादा भर्ती हुए वयस्कों की तुलना में उनका टीकाकरण काफी कम हुआ था। अमेरिका में 5 साल से कम आयु के बच्चे अभी तक टीककरण के लिए पात्र नहीं माने गये हैं।
यही कारण है कि अमेरिका में बच्चों में टीकाकरण की दर वयस्कों की तुलना में काफी कम है। यह रिपोर्ट 1 दिसंबर 2020 से 15 जनवरी, 2022 तक अमेरिकी हेल्थ डेटाबेस का विश्लेषण के आधार पर तैयार की गई है।