चीनी आक्रामकता ने भारत-चीन राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ के जश्न को फीका किया

By भाषा | Updated: December 31, 2020 16:32 IST2020-12-31T16:32:11+5:302020-12-31T16:32:11+5:30

Chinese aggression faded to celebrate 70th anniversary of India-China diplomatic relations | चीनी आक्रामकता ने भारत-चीन राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ के जश्न को फीका किया

चीनी आक्रामकता ने भारत-चीन राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ के जश्न को फीका किया

(के जे एम वर्मा)

बीजिंग, 31 दिसंबर भारत-चीन राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ को शानदार तरीके से मनाने के साल में पूर्वी लद्दाख में मई महीने में चीनी आक्रामकता ने दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को गंभीर ठेस पहुंचायी जिसे वर्ष 1962 के युद्ध के बाद बेहद सावधानीपूर्वक विकसित किया गया था ।

सामरिक रूप से महत्वपूर्ण गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुए संघर्ष में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे और चीन के भी अनेक सैनिक मारे गए थे।

इसे विडंबना ही कहा जायेगा कि यह घटना ऐसे वर्ष में घटी जिसे दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने की 70वीं वर्षगांठ के रूप में संयुक्त रूप से मनाया जाना था ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच वर्ष 2018 में बुहान में और साल 2019 में तमिलनाडु के मामल्लपुरम में अनौपचारिक शिखर बैठक में हुई प्रगति के आधार पर कई कार्यक्रमों की घोषणा की गई थी ।

इस संबंध में दोनों देशों ने कारोबार, संस्कृति, सैन्य आदान प्रदान सहित द्विपक्षीय आयामों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से 70 समारोहों का कार्यक्रम निर्धारित किया था लेकिन इसे शुरू नहीं किया जा सका क्योंकि सबसे पहले बुहान में कोरोना वायरस शुरू होने के बाद इसे फैलने से रोकने के लिये चीन में लॉकडाउन लगा दिया गया था ।

चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने गणतंत्र दिवस से जुड़े एक स्वागत समारोह में 23 जनवरी को कहा था, ‘‘ भारत पहला गैर समाजवादी राष्ट्र था जिसने पीपुल्स रिपब्लिक आफ चाइना को मान्यता दी थी । ’’

भारत में चीन के पूर्व राजदूत रहे और चीनी उप विदेश मंत्री लूओ झावहुइ इस समारोह में मुख्य अतिथि थे ।

इस दौरान मिस्री ने कहा था, ‘‘ यह हमारी यात्रा की समीक्षा करने और साथ मिलकर नये लक्ष्य तय करने का महत्वपूर्ण अवसर है। ’’

इस वर्ष के प्रारंभ में चीन में कोरोना वायरस संक्रमण बढ़ने के बीच यह स्वागत कार्यक्रम वहां की सरकार द्वारा मंजूर अंतिम सार्वजनिक समारोह था ।

भारतीय उच्चायोग ने इसके बाद 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण कार्यक्रम को रद्द कर दिया था क्योंकि चीन ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी ।

भारत सहित दुनिया के देश कोविड -19 के प्रसार के कारण प्रभावित हुए, वहीं चीन ने अप्रैल तक सख्त नियंत्रण उपायों के जरिये इसके फैलने पर प्रभावी रोक लगायी ।

इसी दौरान मई में हजारों की संख्या में सैनिकों को पूर्वी लद्दाख की ओर सैन्य अभ्यास के लिये भेजा गया जिसके कारण वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के साथ नये सिरे से तनाव बढ़ गया । कई दौर की राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद भी तनाव कम नहीं हुआ है ।

सीमा पर तनाव बढ़ने के बाद भारत और चीन संबंधों की वर्तमान स्थिति के बारे में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था, ‘‘ हम संभवत: चीन के साथ हमारे संबंधों के सबसे कठिन दौर में हैं, निश्चित तौर पर पिछले 30 से 40 वर्षो में या आप इससे अधिक भी कह सकते हैं । ’’

उन्होंने कहा कि स्वभाविक तौर पर इससे संबंध प्रभावित होंगे ।

इसी महीने एक अन्य बैठक में जयशंकर ने कहा था कि जो कुछ हो रहा है, वह वास्तव में चीन के हित में नहीं है क्योंकि उसने जो किया है, उससे लोक संवेदना पर गहरा प्रभाव पड़ा है ।

उन्होंने यह भी कहा था कि वास्तविक खतरा यह है कि जो बेहतर माहौल सावधानीपूर्वक विकसित किया गया था, वह इस वर्ष की घटनाओं के कारण नष्ट हो जायेगा ।

वहीं, चीन लद्दाख गतिरोध के लिये भारत को जिम्मेदार ठहराता रहा है और वह इसका कोई कारण भी नहीं बता रहा है कि इतनी बड़ी संख्या में सीमा पर सैनिको को तैनात किस वजह से किया गया।

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Web Title: Chinese aggression faded to celebrate 70th anniversary of India-China diplomatic relations

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