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नेपाल के पीएम केपी ओली व चीन की राजदूत होउ यांकी के मुलाकात पर पहली बार आया चीन का बयान, जानें क्या कहा

By अनुराग आनंद | Updated: July 7, 2020 18:29 IST

चीन की राजदूत होउ यांकी नेपाल के पीएम केपी ओली की कुर्सी बचाने के लिए न सिर्फ नेताओं से मिली बल्कि उसने प्रोटोकॉल तोड़कर सरकार बचाने के लिए राष्ट्रपति विद्या भंडारी से भी मुलाकात की।

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ठळक मुद्देहोउ यांकी ने पिछले हफ्ते राष्ट्रपति विद्या भंडारी से भी 3 जुलाई को मुलाकात की थी।होउ यांकी की हाल में सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं से मुलाकात के बाद से कई सवालों उठ रहे हैं। ये मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब नेपाल की राजनीति में अस्थिरता है और हर कोई इसका फायदा  उठाने की कोशिश में जुटा है।

काठमांडू: नेपाल के पीएम केपी ओली की कुर्सी खतरे में देख काठमांडू में तैनात चीन की राजदूत होउ यांकी सक्रिय हो गई है। नेपाल के प्रधानमंत्री ने भले ही भारत पर आरोप लगाते हुए कहा हो कि भारत नेपाल के मामले में दखल देकर उसकी सरकार गिराना चाहता है। भारत ने भले ही इस आरोप पर चुप्पी साधी हो, लेकिन चीन अब नेपाल में ओली सरकार को बचाने के लिए खुलकर सामने आ गया है।

चीन की राजदूत होउ यांकी ने ओली सरकार को बचाने के लिए न सिर्फ केपी ओली से मुलाकात की बल्कि इसके ठीक बाद उसने नेपाल सरकार में विदेश मामलों को देख रहे नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी के नेता माधव नेपाल से भी मुलाकात की। चीनी राजदूत होउ यांकी ने हद तो तब कर दिया जब ओली की कुर्सी को बचाने के लिए नेपाल के राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी तक से मुलाकात की।

अब इस मामले में नेपाल में चीन की ऐंबेसी ने सफाई दी है। काठमांडू पोस्ट रिपोर्ट की मानें तो चीनी दूतावास ने होउ यांकी के पीएम केपी ओली व राष्ट्रपति के साथ बैठकों का बचाव किया है। दूतावास के प्रवक्ता झांग सी ने काठमांडू पोस्ट को बताया कि चीन नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी को परेशानी में नहीं देखना चाहता था और नेताओं के बीच मतभेदों को सुलझाने व एकजुट करने के लिए होउ यांकी को इस मामले में दखल देना पड़ा। 

राष्ट्रपति से की मुलाकात के लिए पिछले हफ्ते चीनी राजदूत ने तोड़ा प्रोटोकॉल-

बात दें कि राजनीतिक विशेषज्ञ ये भी मानते हैं कि चीन ने कम्यूनिस्ट नेताओं को एक साथ लाने और शासननीत पार्टी बनाने में अहम भूमिका निभाई। होउ ने पिछले हफ्ते राष्ट्रपति विद्या भंडारी से भी 3 जुलाई को मुलाकात की थी। इसे तब एक शिष्टाचार भेंट बताया गया था। हालांकि, अब रिपोर्ट्स हैं कि इसमें प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया।

अप्रैल-मई में ओली और एनसीपी चेयरमैन पुष्पा कमल दहल 'प्रचंड' के साथ होउ की बैठकों को कुछ विश्लेषक प्रधानमंत्री की मुश्किल स्थिति को दूर करने के प्रयासों के तौर पर गिनते हैं। मई में मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि होउ ने अपनी पिछली बैठकों में एनसीपी के भीतर दरार पर चिंता व्यक्त की थी और पार्टी के नेताओं से एकता बनाए रखने और किसी भी प्रकार के विभाजन को रोकने का आग्रह किया था।

नेपाल के अखबार 'काठमांडू' पोस्ट के अनुसार होउ की हाल में सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं से मुलाकात ने कई सवालों को नेपाल में जन्म दे दिया है। दरअसल, ये मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब नेपाल की राजनीति में अस्थिरता है और हर कोई इसका फायदा  उठाने की कोशिश में जुटा है। इसे कई जानकार नेपाल की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप के तौर पर भी देख रहे हैं।

सत्ता में रहने के लिए केपी ओली ने विरोधी प्रचंड से की मुलाकात-

बता दें कि नेपाल में प्रधानमंत्री के पी ओली की सरकार पर संकट फिलहाल कम होता नजर नहीं आ रहा है। सोमवार को नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से मुलाकात की। इससे पहले प्रधान मंत्री केपी शर्मा ओली के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने जानकारी दी थी कि नेपाल में आज होने वाली नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की स्थायी समिति की बैठक 8 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

इससे पहले भी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड, केपी शर्मा ओली से मुलाकात करने उनके घर पहुंचे थे। पीएम केपी शर्मा ओली और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के सह-अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड के बीच सत्ता साझेदारी को लेकर हुई बैठक का कोई नतीजा नहीं निकल सका। 

ओली के एक करीबी सूत्र ने बताया कि दोनों नेता अपने रुख पर अड़े हुए हैं। इसीलिए वे किसी समझौते पर नहीं पहुंच सके। नेपाल में प्रचंड का खेमा पीएम ओली से इस्तीफे की लगातार मांग कर रहा है। इस खेमे को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं माधव कुमार नेपाल और झालानाथ खनल का समर्थन हासिल है।

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