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चीन ने हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं को नोबेल शांति पुरस्कार दिये जाने के खिलाफ किया आगाह

By भाषा | Updated: August 28, 2020 21:54 IST

यूरोप की उनकी मौजूदा यात्रा पर इटली और नीदरलैंड के बाद यह तीसरा देश है। साथ ही, फ्रांस और जर्मनी जाने का भी उनका कार्यक्रम है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सीट चक्रीय आधार पर नार्वे के ग्रहण करने की तैयारी के बीच वांग वहां के दौरे पर हैं।

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ठळक मुद्देचीन के विदेश मंत्री वांग यी ने हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं को नोबेल शांति पुरस्कार दिये जाने के खिलाफ ओस्लो को आगाह किया है। वांग, बीजिंग पर बढ़ते अमेरिकी दबाव के मद्देनजर चीन के लिये समर्थन जुटाने की खातिर यूरोपीय संघ के देशों के दौरे पर हैं।

बीजिंग: नार्वे की यात्रा पर गये चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं को नोबेल शांति पुरस्कार दिये जाने के खिलाफ ओस्लो को आगाह किया है। उन्होंने कहा कि चीन के मानवाधिकार कार्यकर्ता लियू शियाबो और तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को अतीत में नोबेल शांति पुरस्कार दिये जाने से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में तनाव पैदा हुआ था।

वांग ने कहा कि इसलिए, लियू और दलाई को नोबेल शांति पुरस्कार दिये जाने की तर्ज पर हांगकांग के लोकतंत्र समर्थकों को इस पुरस्कार से सम्मानित नहीं किया जाए। वांग, बीजिंग पर बढ़ते अमेरिकी दबाव के मद्देनजर चीन के लिये समर्थन जुटाने की खातिर यूरोपीय संघ के देशों के दौरे पर हैं। पिछले 15 साल में वह ऐसे पहले चीनी विदेश मंत्री हैं, जो नार्वे की यात्रा पर गये हैं।

यूरोप की उनकी मौजूदा यात्रा पर इटली और नीदरलैंड के बाद यह तीसरा देश है। साथ ही, फ्रांस और जर्मनी जाने का भी उनका कार्यक्रम है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सीट चक्रीय आधार पर नार्वे के ग्रहण करने की तैयारी के बीच वांग वहां के दौरे पर हैं। चीन, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य देश है। वांग ने नार्वे की विदेश मंत्री आई एरिकसेन सोरेद से भी बृहस्पतिवार को वार्ता की।

बाद में मीडिया से बातचीत के दौरान जब उनसे यह पूछा गया कि भविष्य में यदि नोबेल पुरस्कार हांगकांग के प्रदर्शनकारियों को मिलता है, तो इस पर चीन की क्या प्रतिक्रिया होगी, वांग ने कहा, ‘‘मैं बस एक चीज कहूंगा : भूत, भविष्य और वर्तमान में चीन अपने आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिये नोबेल शांति पुरस्कार का किसी के भी द्वारा इस्तेमाल किये जाने की कोशिश को दृढ़ता से खारिज कर देगा।’’ हांगकांग से प्रकाशित होने वाले साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने वांग के हवाले से कहा, ‘‘चीन अपने सिद्धांतों पर दृढ़ता से अडिग है। हम यह नहीं देखना चाहते कि कोई भी देश नोबेल शांति पुरस्कार को राजनीतिक रंग दे। ’’

पोस्ट की खबर के मुताबिक, ओस्लो स्थित नोबेल शांति पुरस्कार समिति द्वारा चीन के असंतुष्ट कार्यकर्ता लियू को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किये जाने के बाद 2010 से 2016 के बीच नार्वे और चीन के बीच राजनयिक संबंधों में ठहराव आ गया था। दलाई लामा को 1989 में नोबेल शांति पुरस्कार मिलने के बाद भी चीन ने ओस्लो से दूरी बना ली थी।

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