चीन की नई चाल! तालिबान को मान्यता देने की कर रहा है तैयारी, अफगान सरकार की हार का है इंतजार
By विनीत कुमार | Updated: August 13, 2021 13:59 IST2021-08-13T13:32:02+5:302021-08-13T13:59:29+5:30
अफगानिस्तान में तालिबान की पकड़ मजबूत होती जा रही है। ऐसे में अगर तालिबान काबुल तक पहुंचता है तो चीन उसे अफगानिस्तान का शासक होने की मान्यता दे सकता है।

तालिबान को मान्यता देने की तैयारी में चीन (फाइल फोटो)
काबुल: अफगानिस्तान में तालिबन की मजबूत होती पकड़ के बीच चीन बड़ी पैंतरेबाजी में जुट गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार अफगानिस्तान में अगर तालिबान पूरी तरह से कब्जा कर लेता है और चुनी हुई सरकार अपदस्थ होती है तो चीन आतंकी संगठन को अफगानिस्तान के शासक के तौर पर मान्यता दे देगा।
न्यूज एजेंसी एएनआई ने यूएस न्यूज (US News) के हवाले से बताया है कि चीनी सेना और उसकी खुफिया आंकलन की बदौलत चीन औपचारिक तौर पर तालिबान ग्रुप को मान्यता देने के लिए तैयार है। गौरतलब है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बीच तालिबान तेजी से अपनी पकड़ अफगानिस्तान पर बढ़ा रहा है।
अमेरिका को झटका देने की चीन की तैयारी
चीन अगर तालिबान को मान्यता देता है तो ये अमेरिका सहित भारत के लिए बड़ा झटका हो सकता है। अमेरिका तालिबान के पक्ष में नहीं है और जो बाइडन प्रशासन तालिबान की हिंसात्मक कार्रवाई को देखते हुए उसके खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है।
चीन से इतर पाकिस्तान पर भी आरोप लगते रहे हैं कि वह तालिबान के लड़ाकों को समर्थन देता रहा है। पिछले एक हफ्ते में तालिबान बेहद आक्रामक हुआ है। तालिबान ने कांधार समेत अफगानिस्तान के 12 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया और अब उसकी नजर देश की राजधानी काबुल पर है।
यही नहीं तालिबान 8 प्रांतों पर पूरी तरह से कब्जा कर चुका है। साथ ही कुल 163 जिले उसके कब्जे में आ गए हैं।
अमेरिका और नाटो के सैनिक करीब 20 साल पहले अफगानिस्तान आए थे और उन्होंने तालिबान सरकार को अपदस्थ किया था। अमेरिकी सेना का ताजा खुफिया आकलन बताता है कि काबुल 30 दिन के अंदर तालिबान के दबाव में आ सकता है और मौजूदा स्थिति बनी रही तो कुछ ही महीनों में पूरे देश पर नियंत्रण हासिल कर सकता है।
चीन और तालिबान की पिछले महीने हुई थी मुलाकात
इससे पहले पिछले महीने चीन ने तालिबान के नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से मुलाकात की थी उसकी प्रशंसा करते हुए अफगानिस्तान में उसे ‘अहम सैन्य और राजनीतिक ताकत’ करार दिया।
चीन ने साथ ही शिनजियांग के वीगर मुस्लिम चरमपंथी समूह ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) का भी जिक्र किया और उसे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया। तालिबान की ताकत बढ़ने से चीन चिंतित हो रहा था कि उसके शिनजियांग प्रांत में ईटीआईएम के सदस्य अफगान सीमा से घुसपैठ कर सकते हैं।
मुलाकात के दौरान तालिबान की ओर से ईटीआईएम का जिक्र किए बिना कहा गया था कि अफगानिस्तान किसी को भी अपने क्षेत्र का इस्तेमाल ऐसे काम के लिए करने की इजाजत नहीं देगा जो उसके लोगों के हितों को कमजोर करते हों।