मोदी सरकार के फैसले पर चीन ने जताई आपत्ति, कहा- भारत ने नए FDI नियम से WTO के मुक्त व्यापार सिद्धांत का किया उल्लंघन

By भाषा | Published: April 20, 2020 05:38 PM2020-04-20T17:38:02+5:302020-04-20T17:38:02+5:30

चीन के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 57.86 अरब डालर पर पहुंच गया जो कि 2017 में 51.72 अरब डालर पर था।

China objected to the Modi government's decision, said - India violated WTO's free trade principle with the new FDI rule | मोदी सरकार के फैसले पर चीन ने जताई आपत्ति, कहा- भारत ने नए FDI नियम से WTO के मुक्त व्यापार सिद्धांत का किया उल्लंघन

मोदी सरकार के फैसले पर चीन ने जताई आपत्ति

Highlightsचीन ने कहा कि एफडीआई की भारत की नई नीति से चीन सहित भारत की जमीनी सीमाओं के साथ लगने वाले देशों की कंपनियों के लिये भारत में निवेश करना मुश्किल हो जायेगा।चीन के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनियों द्वारा किसी भी देश में निवेश का फैसला उस देश के आर्थिक कारकों पर निर्भर करता है।

नयी दिल्ली:  नरेंद्र मोदी सरकार की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में कुछ खास देशों के लिये किये गये बदलाव विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के भेदभाव रहित व्यवहार के सिद्धांत का उल्लंघन है और यह मुक्त व्यापार के सामान्य रुझान के खिलाफ है। चीनी दूतावास की प्रवक्ता ने सोमवार को यह कहा। प्रवक्ता ने कहा कि ‘‘अतिरिक्त अवरोध खड़े करने वाली यह नीति स्पष्ट तौर पर चीन के निवेशकों के लिये ही है। उसने कहा कि भारत का यह कदम जी20 देशों के बीच बनी उस सहमति के भी खिलाफ है जिसमें निवेश के लिये मुक्त, उचित और भेदभाव रहित परिवेश पर जोर दिया गया है।

भारत ने पिछले सप्ताह अपनी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति में बदलाव करते हुये उसकी सीमा से लगने वाले पड़ोसी देशों से आने वाले विदेशी निवेश के लिये सरकारी मंजूरी लेना आवश्यक कर दिया। भारत का कहना है कि यह कदम कोरोना वायरस महामारी के चलते अवसर का लाभ उठाते हुये घरेलू कंपनियों के अधिग्रहण को रोकने के लिये यह कदम उठाया गया है।

भारत में चीनी दूतावास की प्रवक्ता जी रोंग ने कहा कि चीन को उम्मीद है कि भारत भेदभाव वाली इस नीति में संशोधन करेगा और खुला, उचित और समान व्यवासायिक परिवेश कायम रखते हुये सभी देशों से आने वाले निवेश के साथ एक जैसा व्यवहार रखेगा। एफडीआई नियमों को सख्त बनाने संबंधी भारत ने यह कदम ऐसे समय उठाया जब इस तरह की रिपोर्टें आ रही थी कोरोना वायरस महामारी की वजह से कंपनियों के घटे शेयर मूल्यांकन के बीच चीन कई भारतीय कंपनियों का अधिग्रहण करने की ताक में है।

चीनी दूतावास की प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा है, ‘‘कुछ खास देशों से आने वाले निवेश के रास्ते में अतिरिक्त रुकावट खड़ी किया जाना डब्ल्यूटीओ के भेदभाव रहित सिद्धांत का उल्लंघन है। यह उदारीकरण, व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने के सामान्य रुझान के भी खिलाफ है।’’ प्रवक्ता ने कहा, ‘‘चीन से किये गये निवेश से भारत में औद्योगिक विकास हुआ है। मोबाइल फोन, घरेलू उपयोग के बिजली के सामान, ढांचागत और आटोमोबाइल क्षेत्र में निवेश से भारत में बड़ी संख्या में रोजगार पैदा हुये हैं। इसका दोनों देशों को फायदा हुआ है और सहयोग बढ़ा है।

जी ने कहा कि एफडीआई की भारत की नई नीति से चीन सहित भारत की जमीनी सीमाओं के साथ लगने वाले देशों की कंपनियों के लिये भारत में निवेश करना मुश्किल हो जायेगा। प्रवक्ता ने कहा कि कंपनियों द्वारा किसी भी देश में निवेश का फैसला उस देश के आर्थिक कारकों पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि चीन का भारत में कुल निवेश 8 अरब डालर से अधिक है। यह निवेश भारत की सीमाओं से लगते अन्य सभी देशों द्वारा किये गये निवेश से कहीं अधिक है। भारत के लिये चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार में बढ़ता व्यापार घाटा बड़ा मुद्दा रहा है।

चीन के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 57.86 अरब डालर पर पहुंच गया जो कि 2017 में 51.72 अरब डालर पर था। इस घाटे को कम करने के लिये भारत चीन पर भारतीय सामान, विशेषतौर पर दवा एवं औषधि और सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों का अधिक से अधिक आयात करने पर जोर देता रहा है।  

Web Title: China objected to the Modi government's decision, said - India violated WTO's free trade principle with the new FDI rule

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