ऋषि सुनक द्वारा चीन को 'सबसे बड़ा खतरा' कहे जाने पर भड़का ड्रैगन, कहा- 'गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 27, 2022 08:28 PM2022-07-27T20:28:30+5:302022-07-27T20:45:08+5:30
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ऋषि सुनक द्वारा चीन की खिलाफ की गई टिप्पणी पर चीनी विदेश मंत्रालय ने तीव्र आलोचना करते हुए उसे दुर्भाग्यपूर्ण और गैर-जिम्मेदाराना कहा है।
बीजिंग: चीन ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ऋषि सुनक द्वारा 'ब्रिटेन के लिए सबसे बड़े दीर्घकालिक खतरे' के तौर पर चिन्हित वाले बयान की कड़ी आलोचना की है। चीन ने इस संबंध में सुनक के बयान की तीव्र निंदा करते हुए कहा कि ऋषि सुनक की 'बेहद गैर-जिम्मेदाराना' है।
इस संबंध में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि ऋषि सुनक के बयान से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वो तथाकथित रूप से “चीन के खतरे” को बढ़ावा देकर चीन के जरिये अपनी समस्याओं का समाधान करना चाहते हैं लेकिन ऐसा होगा नहीं।
इसके साथ ही चीनी प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा, “मैं ब्रिटिश राजनेताओं को यह स्पष्ट करना चाहता हूं, जो चीन के बारे में गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी कर रहे हैं। अपने संबोधन में वो तथाकथित “चीन खतरे” को शामिल करके अपनी समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते हैं।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद के दौड़ में सबसे आगे चल रहे भारतीय मूल के ऋषि सुनक ने बीते सोमवार को कहा था कि ब्रिटेन समेत पश्चिमी देशों के बहुत से नेताओं ने चीन के खतरनाक इरादों से आंखें मूंद ली हैं लेकिन वो याद रखें कि चीन वैश्विक तौर पर एक बड़े खतरे के तौर पर उभर रहा है।
सुनक ने कहा, “हाल के दौर में नहीं बल्कि बहुत लंबे समय से ब्रिटेन और पश्चिम में राजनेताओं ने चीन के लिए रेड कार्पेट बिछाया है और उसकी खौफनाक इरादों, गतिविधियों और महत्वाकांक्षाओं से आंखें मूंद ली हैं। लेकिन मैं चीन के संबंध में इस धारणा को बदलूंगा, जिस दिन मैं ब्रिटेन का पीएम बनूंगा। इस संबंध में सार्थक कदम उठाऊंगा।”
इसके साथ सुनक ने अपने संबोधन में यह भी कहा था कि वह ब्रिटेन में चल रहे कन्फ्यूशियस संस्थानों पर भी प्रतिबंध लगाएंगे, जो चीनी सरकार के पैसों से चलती हैं और ब्रिटिश व्यवसायों की जासूसी करती हैं।
ब्रिटेन में पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री रहे सुनक ने यह भी कहा कि देश के लिए संवेदनशील तकनीकी फर्मों सहित प्रमुख ब्रिटिश संपत्तियों के चीनी अधिग्रहण पर प्रतिबंध लगाने के मामले की भी जांच करेंगे।