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चीन ने भारतीय मीडिया को ताइवान के 'नेशनल डे' पर उसे अलग देश नहीं मानने की दी नसीहत, तो जानें क्या मिला जवाब

By अनुराग आनंद | Updated: October 9, 2020 10:11 IST

ताइवान का नेशनल डे 10 अक्टूबर को है। ऐसे में चीन नहीं चाहता है कि इस मौके पर भारतीय मीडिया किसी भी तरह से ताइवान की सच्चाई को लोगों तक पहुंचाए।

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ठळक मुद्देभारत में चीन के एंबेसी ने पत्र लिखकर भारतीय मीडिया से कहा है कि प्रिय मीडिया के दोस्त आपको याद दिलाना चाहेंगे कि दुनिया में सिर्फ एक चीन है। पत्र में कहा गया कि सिर्फ पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चीन की सरकार ही पूरी दुनिया में चीन का प्रतिनिधित्व करती है।

नई दिल्ली:चीन की सरकारी मीडिया व एंबेसी ने भारतीय मीडिया को नसीहत देते हुए कहा कि ताइवान के नेशनल डे पर उसे एक अलग देश की तरह से प्रचारित नहीं किया जाए। 

चीन के सरकारी अखबार ने भी कहा कि ताइवान का नेशनल डे 10 अक्टूबर को है। इस दिन को भारत किसी भी तरह से ताइवान के साथ एक स्वतंत्र देश का व्यवहार न करे।

ताइवान ने चीन सरकार को दिया मुंहतोड़ जवाब-

बता दें कि चीन के इस चेतावनी पर ताइवान ने चीन के सरकारी मीडिया व वहां की सरकार को मुंहतोड़ जवाब दिया है। ताइवान सरकार की ओर से विदेश मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इसके साथ ही अपने ट्वीट में ताइवान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत के लोग प्रेस व स्वंय की आजादी को पसंद करते हैं।

हालांकि, ऐसा लगता है कि कम्युनिस्ट चीन सभी पड़ोसी देशों पर सेंसरशिप थोपना चाहता है। लेकिन, इस चेतावनी पर ताइवान के भारतीय दोस्तों का चीन के लिए एक ही जवाब होगा- भाड़ में जाओ। बता दें कि बीते कुछ माह से दुनिया भर में कोरोना महामारी फैलने के बाद चीन अपने पड़ोसी देश भारत,ताइवान व हांगकांग जैसे मामले में बेहद उग्र होकर फैसला ले रहा है।  

चीन ने भारतीय मीडिया को लिखे चिट्ठी में यह कहा है-

भारत में चीन के एंबेसी ने पत्र लिखकर भारतीय मीडिया से कहा है कि प्रिय मीडिया के दोस्त आपको याद दिलाना चाहेंगे कि दुनिया में सिर्फ एक चीन है। सिर्फ पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चीन की सरकार ही पूरी दुनिया में चीन का प्रतिनिधित्व करती है। ताइवान को स्वतंत्र देश के तौर पर पेश नहीं किया जाए। इससे आम लोगों में गलत संदेश जाएगा।

इस चिट्‌ठी में आगे लिखा है कि ताइवान चीन का अभिन्न हिस्सा है। चीन के साथ डिप्लोमेटिक संबंध रखने वाले देशों को इसकी ‘वन चीन’ पॉलिसी का पूरी तरह से सम्मान करना चाहिए। इस मामले में भारत सरकार का भी लंबे समय से यही मानना रहा है।

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