ऑस्ट्रेलिया के सुप्रीम कोर्ट ने 62 वर्षीय महिला को अपने मृत पति से शुक्राणु निकालने की अनुमति दी
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: January 3, 2024 05:54 PM2024-01-03T17:54:41+5:302024-01-03T17:55:35+5:30
अर्जी पर फैसला सुनाते हुए जज फियोना सीवार्ड ने महिला को स्पर्म निकालने की अनुमति दे दी लेकिन अभी उसका इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं मिली है। इसके लिए अलग से कोर्ट के आदेश की जरूरत होगी।
नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया के सुप्रीम कोर्ट ने 62 वर्षीय महिला को अपने पति के मृत शरीर से शुक्राणु निकालने की अनुमति दी है। ये विशेष अनुमति इसलिए दी गई है ताकि इसका उपयोग निषेचन में किया जा सके और महिला पति की मौत के बाद भी उसके बच्चे की मां बन सके।
रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2023 के अंत में अपने 61 वर्षीय पति की मृत्यु के बाद महिला द्वारा एक अदालती आवेदन प्रस्तुत किया गया था। उनके पति के शव को सर चार्ल्स गेर्डनर अस्पताल ले जाया गया था। अदालत को सूचित किया गया कि महिला को आवेदन करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि अस्पताल तुरंत एक "नामित अधिकारी" उपलब्ध कराने में विफल रहा जो महिला के अनुरोध पर गौर कर सके।
महिला ने अपने पति के मृत शरीर से शुक्राणु निकालकर उसका भंडारण करने का निवेदन किया था। उस समय तक शुक्राणु सक्रिय बने हुए थे। आवेदन पर सुनवाई करते समय अदालत को पता चला कि दंपति के पहले दो बच्चे थे लेकिन दोनों की अलग-अलग दुर्घटनाओं में दुखद मृत्यु हो गई।
बच्चों की मृत्यु के बाद दंपति ने एक और बच्चा पैदा करने की योजना बनाई थी लेकिन महिला को एक प्रजनन विशेषज्ञ ने सलाह दी थी कि वह अपनी उम्र के कारण गर्भधारण नहीं कर सकती है। जब पति के शुक्राणु का परीक्षण किया गया तो पता चला कि वह व्यवहार्य बना हुआ है।
अदालत को यह भी बताया गया कि 20 वर्षीय चचेरी बहन ने स्वेच्छा से आईवीएफ प्रक्रिया से गुजरने और जोड़े के लिए सरोगेट बनने की इच्छा जताई थी। हालाँकि, दंपति एक अलग देश में रह रहे थे, और महिला ने सोचा कि सरोगेसी के लिए पहले जोड़े को कानूनी तौर पर एक विशेष अवधि के लिए देश में रहना होगा।
अर्जी पर फैसला सुनाते हुए जज फियोना सीवार्ड ने महिला को स्पर्म निकालने की अनुमति दे दी लेकिन अभी उसका इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं मिली है। इसके लिए अलग से कोर्ट के आदेश की जरूरत होगी।