अफगानिस्तान को हथियार नहीं बेचेगा अमेरिका, तालिबान के कब्जे के चलते बाइडन प्रशासन ने लिया फैसला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 19, 2021 10:01 PM2021-08-19T22:01:09+5:302021-08-19T22:02:15+5:30
विदेश विभाग के राजनीतिक/सैन्य मामलों के ब्यूरो ने कहा कि अफगानिस्तान को लंबित या हस्तांतरण नहीं किए गए हथियारों को लेकर समीक्षा की गई।
काबुलः अमेरिका ने तालिबान द्वारा देश पर कब्जा किए जाने के बाद अफगानिस्तान सरकार को हथियारों की बिक्री पर रोक लगा दी है। रक्षा ठेकेदारों के लिए बुधवार को जारी किए गए एक नोटिस में विदेश विभाग के राजनीतिक/सैन्य मामलों के ब्यूरो ने कहा कि अफगानिस्तान को लंबित या हस्तांतरण नहीं किए गए हथियारों को लेकर समीक्षा की गई।
उन्होंने कहा, ''अफगानिस्तान में तेजी से बदलती परिस्थितियों के मद्देनजर रक्षा बिक्री नियंत्रण निदेशालय विश्व शांति को आगे बढ़ाने, राष्ट्रीय सुरक्षा और अमेरिका की विदेश नीति में उनकी उपयुक्तता निर्धारित करने के लिए सभी लंबित और जारी किए गए निर्यात लाइसेंस और अन्य मंजूरी की समीक्षा कर रहा है।'' नोटिस में कहा गया है कि वह आने वाले दिनों में रक्षा उपकरण निर्यातकों के लिए अद्यतन जानकारी साझा करेगा।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से प्रोत्साहित होंगे आतंकवादी : ब्रिटेन के मंत्री ने चेताया
ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वालेस ने बृहस्पतिवार को चेतावनी दी कि अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा आतंकवादियों को प्रोत्साहित करेगा और चरमपंथी को तेजी से बढ़ावा देगा जिससे दुनियाभर में सुरक्षा संबंधी चुनौतियां पैदा होंगी। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि उन्हें डर है कि अल-कायदा जैसे आतंकवादी संगठन तालिबान के इस कदम को ‘अवसर’ के रूप में देखेंगे और पश्चिमी देशों के लिए जरुरी है कि वे इसके खिलाफ खड़े हों। वालेस ने कहा, ‘‘यह बिलकुल सीधी बात है।
राष्ट्र जब असफल होता है तो वहां गरीबी बढ़ती है और सामान्य तौर पर चरमपंथी और सुरक्षा संबंधी चुनौतियां पैदा होती हैं। इसलिए हमने देश के बाहर से कार्रवाई करने की क्षमता विकसित करने में निवेश किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अल-कायदा इसे अवसर के रूप में देखने वाला है। हमें तैयार रहना होगा।’’
अफगानिस्तान से ब्रिटिश नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के अभियान की जिम्मेदारी संभाल रहे मंत्री ने उन खबरों को खारिज किया कि वहां से आने वाले विमान आधे खाली हैं। वालेस ने कहा कि रॉयल एयर फोर्स के पूरे भरे हुए सात से 10 विमान रोजाना वहां से उड़ान भर रहे हैं।
इस सप्ताह में विमान से अफगानिस्तान से बाहर आने वालों में ब्रिटिश सरकार के कर्मचारी, ब्रिटिश नागरिक, मीडिया, मानवाधिकार कार्यकर्ता और ब्रिटिश सरकार के लिए काम करने वाले अफगान शामिल हैं। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने ट्वीट किया कि विदेश और गृह मंत्रालय के और 10 कर्मचारियों को अफगानिस्तान भेजा गया है, ताकि वहां से लोगों को बाहर निकालने के प्रयासों में मदद मिल सके।
अफगानिस्तान की स्थिति के लिए अब अमेरिका जिम्मेदार : मर्केल के करीबी सहयोगी
जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल के राजनीतिक धड़े के एक प्रमुख सदस्य ने बृहस्पतिवार को अमेरिका से कहा कि वह अफगानिस्तान से बाहर जाने वाले लोगों को धन और आश्रय मुहैया कराए। बायर्न प्रांत के गवर्नर मार्कस सोडर ने कहा, "वर्तमान स्थिति के लिए मुख्य जिम्मेदारी अमेरिका पर है।
अफगानिस्तान छोड़ने के उनके फैसले के कारण, कुछ हद तक जल्दबाजी में... उनकी मुख्य जिम्मेदारी है।" सोडर ने कहा कि अमेरिका ने पहले ही काबुल से विदेशियों और स्थानीय कर्मचारियों को बाहर निकालने के लिए सुरक्षा की गारंटी दी थी और "जब पड़ोसी देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की बात है, खासकर ‘यूएनएचसीआर’ के लिए तो उसे ऐसा करना चाहिए...।’’
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा है कि तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद अब तक सबसे अधिक विस्थापन अफगानिस्तान के अंदर हुआ है। लेकिन जर्मनी में कुछ अधिकारियों ने आशंका जतायी है कि 2015 के प्रवासी संकट की पुनरावृत्ति हो सकती है जिसमें एशिया और अफ्रीका से हजारों लोग यूरोप आए थे।