Afghanistan crisis Updates: अफगानिस्तान में तालिबान का कहर जारी है। सोशल मीडिया पर कई तस्वीर देखकर आप हैरान होंगे। लोग जान बचाकर भाग रहे हैं। कल हादसे में 7 लोगों का जान चली गई। एक हैरान करने वाली तस्वीर सामने आई है।
हजारों अफगान काबुल के मुख्य हवाई अड्डे पर पहुंचे रहे हैं। तालिबान से बचने के लिए इतने बेताब हैं कि सैकड़ों की संख्या में एक अमेरिकी सैन्य विमान में बैठे दिखे। विमान में आप देख सकते हैं कि खचाखच भीड़ एक साथ बैठी हुई है। 640 से अधिक अमेरिकी वायु सेना के C-17 ग्लोबमास्टर में हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, परिवहन विमान में कुल 640 अफगान सवार थे। C-17 में अब तक उड़ाए गए सबसे अधिक लोगों में से हैं। इस विमान ने कतर के लिए उड़ान भरी। रविवार को तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया।
भीड़ तब आई, जब तालिबान ने देश भर में 5 मिलियन लोगों की राजधानी पर अपना शासन लागू किया। देश की पश्चिमी समर्थित सरकार को गद्दी से हटाने में सिर्फ एक सप्ताह का समय लिया। जेलों को खाली करने और शस्त्रागार लूटने के बाद कई निवासी घर में रहे और भयभीत दिखे।
तालिबान के आश्वासन के बावजूद अफगान नागरिकों को बर्बर शासन लौटने का भय
अफगानिस्तान में तालिबान ने देश में शांति का नया युग लाने का वादा किया है, लेकिन अफगाान इससे आश्वस्त नहीं है और उनके दिलों में तालिबान का पुराना बर्बर शासन लौटने का भय है। जिन लोगों को तालिबान का शासन याद है और जो लोग तालिबान के कब्जे वाले इलाकों में रह चुके हैं वे तालिबान के भय से वाकिफ हैं। जिन इलाकों में तालिबान ने हाल में कब्जा किया है वहां सरकारी कार्यालय, दुकानें, स्कूल आदि अब भी बंद हैं और नागरिक छिपे हुए हैं या फिर राजधानी काबुल जा रहे हैं।
देश में तालिबान के कट्टर शरिया शासन लौटने की आहटें सुनाई देने लगी हैं, जिसके तले देश की जनता ने 1996 से 2001 का वक्त बिताया था। 9/11 हमले के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान से तालिबान शासन को समाप्त किया। बहुत से लोगों को भय है कि तालिबान शासन आने के बाद महिलाओं और जातीय अल्पसंख्यकों की आजादी समाप्त हो जाएगी और पत्रकारों तथा गैर सरकारी संगठनों के काम करने पर पाबंदियां लग जाएंगी।
हेरात में एक स्थानीय एनजीओ में काम करने वाली 25 वर्षीय युवती ने बताया कि लड़ाई के चलते वह हफ्तों से घर से बाहर नहीं निकली है। उसने कहा कि बहुत कम महिलाएं सड़कों पर दिखाई देंगी यहां तक कि महिला चिकित्सक भी घरों में हैं और जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती, ऐसे ही रहने वाला है। उसने अपना नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर फोन पर कहा,‘‘ मैं तालिबान लड़ाकों का सामना नहीं कर सकती। उनके लिए मेरे मन में अच्छे भाव नहीं है। कोई भी महिलाओं और लड़कियों के बारे में तालिबान के विचार को नहीं बदल सकता। वे अब भी चाहते हैं कि महिलाएं घरों पर रहें।’’
तालिबान ने लोगों को आश्वासन दिया है कि सरकार और सुरक्षा बलों के लिए काम करने वालों पर प्रतिशोधात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी और जीवन, संपत्ति और सम्मान की रक्षा की जाएगी। वे देश के नागरिकों से देश नहीं छोड़ने की भी अपील कर रहे हैं, लेकिन तालिबान की हालिया कार्रवाई कुछ और ही तस्वीर पेश करती है।
अर्ध सरकारी ‘अफगानिस्तान इंडिपेंडेंट ह्यूमन राइट्स कमीशन’ के अनुसार पिछले माह गाजी प्रांत के मलिस्तान जिले पर कब्जे के बाद तालिबानी लड़कों ने घर-घर जा कर उन लोगों की तलाश की जिन्होंने सरकार के लिए काम किया था और इसके बाद कम से कम 27 लोगों की हत्या कर दी। अन्य स्थानों से भी कमोबेश इसी प्रकार की खबरें मिल रही हैं।
फेसबुक ने तालिबान का समर्थन करने वाली सामग्री प्रतिबंधित की: रिपोर्ट
सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने कहा है कि उसने मंच पर तालिबान और उसका समर्थन करने वाली सभी सामग्री को प्रतिबंधित कर दिया है, क्योंकि वह समूह को आतंकवादी संगठन मानता है। कंपनी का कहना है कि उसके पास बागी समूह से संबंधित सामग्री पर नजर रखने और उसे हटाने के लिए अफगान विशेषज्ञों की एक समर्पित टीम है। वर्षों से तालिबान अपने संदेशों का प्रसार करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता आया है।
फेसबुक के प्रवक्ता ने बीबीसी को बताया, “ तालिबान अमेरिकी कानून के तहत आतंकवादी संगठन के तौर पर प्रतिबंधित है और हमने खतरनाक संगठन नीतियों के तहत अपनी सेवाओं से उसे प्रतिबंधित कर दिया है। इसका मतलब है कि तालिबान द्वारा या तालिबान की तरफ से बने अकाउंटों को हटाया जाएगा और उनकी तारीफ, समर्थन और प्रतिनिधित्व करने वालों को प्रतिबंधित किया जाएगा।”
प्रवक्ता ने बताया, “ हमारे पास अफगानिस्तान के विशेषज्ञों की समर्पित टीम है जो दरी और पश्तो भाषी हैं और उन्हें स्थानीय संदर्भ की जानकारी है, वे मंच पर उभरते मुद्दों की पहचान करने और हमें सतर्क करने में हमारी मदद कर रहे हैं।” सोशल मीडिया कंपनी ने कहा कि यह राष्ट्रीय सरकारों की मान्यता के बारे में निर्णय नहीं लेता बल्कि इसके बजाय "अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्राधिकार" का अनुसरण करता है।
फेसबुक ने इस बात पर प्रकाश डाला कि नीति उसके सभी मंचों पर लागू होती है, जिसमें इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप शामिल हैं। हालांकि, ऐसी खबरें हैं कि तालिबान संवाद करने के लिए व्हाट्सऐप का उपयोग कर रहा है। फेसबुक ने बीबीसी से कहा कि अगर उसे ऐप पर समूह से जुड़े अकाउंट मिलते हैं तो वह कार्रवाई करेगा। अफगानिस्तान में चल रही जंग रविवार को निर्णायक हो गई जब तालिबान ने राजधानी काबुल को घेर लिया और देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी को मुल्क से भागना पड़ा, जिसके बाद अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया।