नई दिल्ली: अगस्त 2021 में तालिबान द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद से अफगानिस्तान में स्वास्थ्य सेवा की स्थिति किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह खराब हो गई है। देश के लोग अब स्वास्थ्य सेवा के लिए भी मानवीय सहायता पर निर्भर हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक तालिबानी राज में अफगानिस्तान के स्वास्थ्य क्षेत्र की स्थिति बद से बदतर हो गई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अफगानिस्तान के लिए अपनी 26वीं स्वास्थ्य आपातकालीन स्थिति रिपोर्ट में कहा कि संगठन ने सबसे जरूरतमंद लोगों के लिए देश के दूरदराज के क्षेत्रों में नई प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं स्थापित की हैं। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में संकटग्रस्त देश में 2,20,000 से अधिक लोगों ने इसके माध्यम से सेवाएं प्राप्त कीं। अफगानिस्तान में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पहले भी बहुत अच्छी नहीं थी लेकिन तालिबान के कब्जे के बाद दूसरे देशों से भी मदद मिलना भी मुश्किल हो गया है। ऐसे में आम नागरिक विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों द्वारा मुहैया कराई जाने वाली सुविधाओं पर ही निर्भर हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी 2023 में, डब्ल्यूएचओ और उसके सहायता समूह भागीदारों ने महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों में अफगान लोगों की मदद करने में एक बड़ा योगदान दिया। डब्ल्यूएचओ ने अपने सहयोगियों के साथ, दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों सहित पूरे देश में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को देश के डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया है।
बता दें कि विश्व द्वारा वित्त पोषण बंद किए जाने के बाद अफगानिस्तान की पहले से जर्जर अर्थव्यवस्था और भी खराब हो चुकी है। देश की लगभग पूरी आबादी गरीबी और भुखमरी का शिकार होने लगी है। कब्जे के बाद तालिबान ने यह कहा था कि वे पिछले समय की तुलना में उदार होंगे, लेकिन कट्टरता के कारण धीरे-धीरे महिलाओं के अधिकारों को कुचलना भी शुरू कर दिया गया।
तालिबान सरकार ने लड़कियों और महिलाओं के लिए शिक्षा तथा रोजगार के अवसर मुहैया कराये जाने पर पाबंदियां लगा दी हैं। अमेरिका ने 20 साल की जंग के बाद अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुला लिया था और ऐसे हालात बने थे।