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अफगानिस्तान: पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने कहा- तालिबान लड़कियों को स्कूल जाने की इजाजत दे

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 25, 2022 14:12 IST

हामिद करजई ने कहा कि अफानिस्तान में लड़कियों को स्कूलों की ओर लौटना ही चाहिए और कामकाजी महिलाएं भी अपने काम पर वापस लौटें।

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ठळक मुद्देहामिद करजई ने कहा कि इस्लाम लड़कियों को शिक्षा और महिलाओं को काम करने की आजादी देता हैअफगानिस्तान इस वक्त भयंकर सूखे और महामारी से जूझ रहा हैस्थितियां जल्द ही नहीं सुधरी तो अफगानिस्तान में दस लाख बच्चे कुपोषण और भूख से मर सकते हैं

तालिबान के कब्जे के बाद से निर्वासन में जिंदगी बिता रहे अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने अमेरिका के वाशिंगटन में अफगानी लड़कियों को लेकर एक बड़ा बयान दिया है।

हामिद करजई ने कहा है कि तालिबान लड़कियों को पढ़ने का अधिकार दें ताकि वो अपने भविष्य के बारे में खुद सोचने और उसे दिशा देने के काबिल बनें। 

हामिद करजाई ने अफगानी लड़िकयों की शिक्षा के मुद्दे पर स्पष्ट राय रखते हुए तालिबान से फिर मांग की कि वो मार्च में फिर से स्कूल खुलने पर लड़कियों की शिक्षा पर रोक न लगाएं और उन्हें पढ़ने दे। 

हामिद करजई ने अमेरिकी समाचार नेटवर्क सीएनएन के साथ बातचीत में कहा कि लड़कियों की शिक्षा के मामले में गंभीरता से सोचने की जरूरत है और इसमें कोई बहाना नहीं होना चाहिए।

अफानिस्तान में लड़कियों को स्कूलों की ओर लौटना ही चाहिए। कामकाजी महिलाएं अपने काम पर वापस लौटें। इस्लाम इसकी अनुमति देता है। तालिबान को यह समझना चाहिए कि इसमें किसी भी तरह से सिद्धांतों या अधिकारों से कोई समझौता नहीं होगा। 

मालूम हो कि नई परिस्थियों और अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद उत्पन्न हुई परिस्थितियों के मद्देननजर व्यापक मुद्दों पर नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में बातचीत चल रही है।

अफगानिस्तान के कार्यवाहक तालिबानी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने सोमवार को ओस्लो में पश्चिमी देशों के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की। इससे पहले कार्यवाहक तालिबानी विदेश मंत्री के नेतृत्व में गये तालिबान प्रतिनिधिमंडल ने सिविल सोसाइटी के सदस्यों से भी भेटवार्ता की।

बताया जा रहा है कि पूर्व अफगानी राष्ट्रपति करजई ने ओस्लो में चल रही इस बातचीत का समर्थन किया है। करजई ने इस मामले में कहा कि तालिबानी प्रतिनिधियों और नागरिक समाज के सदस्यों के बीच नॉर्वे में चल रही बैठकों से सकारात्मक रास्ता निकलना चाहिए और तालिबान को खुले दिल से विश्व समुदाय की बात सुननी चाहिए। 

तालिबान के कब्जे के बाद से पूरे विश्व समुदाय से लगभग कट चुका अफगानिस्तान इस वक्त भयंकर सूखे और महामारी से जूझ रहा है। वहीं आर्थिक मौर्चे पर भी असफल तालिबानी नीतियों के कारण वहां के नागरिक भयंकर आर्थिक विपन्नता से भी दो-चार हो रहे हैं।

बताया जा रहा है कि लगभग 2.4 करोड़ अफगानी जनता के सामने खाद्य सामग्रियों का घोर अभाव है और वड़ी संख्या में आबादी के सामने भोजन की गंभीर समस्या उठ खड़ी हुई है।

वैश्विक रिपोर्टों की माने तो ऐसा आकलन है कि अगर स्थितियां जल्द ही नहीं सुधरी तो अफगानिस्तान में दस लाख बच्चे कुपोषण और भूख से मर सकते हैं।

यही नहीं तालिबान के कब्जे के बाद से स्थितियां इतनी भयावह होती जा रही हैं कि अफगानिस्तान की 97 फीसदी आबादी इस साल गरीबी रेखा से नीचे आ सकती है।

टॅग्स :Afghan TalibanतालिबानTalibanTaliban TalibanAfghan Women's Network
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