नई दिल्ली: 23 भारतीय अग्रणी रिसर्च बेस्ड जेनेरिक फार्मा कंपनियों से जुड़े इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस (आईपीए) संगठन ने अमेरिका के वाशिंगटन डीसी के डीएआर संग्रहालय में बैठक बुलाई। यहां विशेष तौर पर दोनों देशों की फार्मास्युटिकल आपूर्ति को विदेशों से कम करने की बात कही गई। इसके साथ ये अमेरिका-भारत व्यापार साझेदारी के तहत सस्ती दवा हासिल करने की बात कही है।
US-इंडिया मेडिसिन पार्टनरशिप के तहत यूएस हेल्थकेयर में भारत के महत्वपूर्ण योगदान और दोनों देशों की स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अमेरिका-भारत संबंधों के महत्व पर प्रकाश डाला।
इसके साथ संगठन के लीडर्स ने एक स्टडी का हवाले दिय, जिसमें मानव डेटा साइंस शामिल है, जिसका जिक्र नीचे दी गई लिंक में किया गया है। https://www.iqvia.com/insights/the-iqvia-institute/reports-and-publications/reports/us-india-medicine-partnership।
अमेरिकी बाजार में बुनियादी दवाओं में भारत का शेयर बढ़ा है, फिलहाल अमेरिका भारत की उच्च रक्तचाप और एंटीबायोटिक्स (वैश्विक एंटीबायोटिक दवाओं का लगभग आधा वितरण) पर भरोसा करता है। अमेरिका के लिए रणनीतिक किफायती दवाओं के बड़े भागीदार के रूप में भारतीय दवा कंपनियां बन कर उभरी है। इसके साथ ये भी कहा कि 'किफायती चिकित्सा साझेदारी' के मुख्य उद्देश्य पर अमेरिका और भारत में स्वास्थ्य के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देना है।
आईपीए के उपाध्यक्ष और जायडस लाइफसाइंस के मैनेजिंग निदेशक श्राविल पटेल ने कहा, "एक बड़े नेटवर्क के बीच समय आ गया है कि संतुलन और लचीलेपन को बढ़ावा दिया जाए। यह केवल विवेकपूर्ण नहीं है बल्कि यह महत्वपूर्ण भी है"।
किफायती मूल पर मेडिसिन साझेदारी अमेरिका की आपूर्ति श्रृंखलाओं पर फरवरी 2021 के कार्यकारी आदेश के अनुरूप होने की बात कही। इसमें राष्ट्रपति बिडेन ने फार्मास्यूटिकल्स और सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री को आपूर्ति श्रृंखला जोखिम के रूप में पहचाना और घोषणा करते हुए कहा, 'अमेरिका को हमारी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए लचीली, विविध और सुरक्षा आपूर्ति श्रृंखलाओं की आवश्यकता है।' इसके साथ आर्थिक समृद्धि और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भी अपनी बात रखी।