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बेरोजगारी के आंकड़ों पर पत्रकार ने मोदी सरकार का किया बचाव, लोगों ने लगाई लताड़

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 31, 2019 18:32 IST

सरकार के अंतरिम बजट से कुछ दिन पहले ही यह रिपोर्ट सामने आई है, ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले काफी विवाद हो सकता है...

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ठळक मुद्देविपक्षी दल रोजगार के आंकड़ों को लेकर लगातार सरकार को निशाना बना रहे हैं।रिपोर्ट के मुताबिक 1972 के बाद देश में बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा है।इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया, लेकिन बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस रिपोर्ट का खुलासा किया है।

नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017-18 में देश में बेरोजगारी दर पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा थी। बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस रिपोर्ट का खुलासा किया है।  

पिछले 45 सालों की तुलना में साल 2017-18 में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 6.1 फीसदी हो गई थी। एनएससी ने रिपोर्ट को दिसंबर महीने में ही मंजूरी दे दिया था लेकिन सरकार उसे जारी नहीं कर रही थी। इस रिपोर्ट के जारी न होने के कारण आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष सहित दो सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया।

नवंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के बाद देश में रोजगार की स्थिति पर आया यह पहला सर्वेक्षण है। इससे पहले, भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र ने अपने सर्वेक्षण के आधार पर कहा था कि ठीक नोटबंदी के बाद साल 2017 के शुरुआती चार महीनों में ही 15 लाख नौकरियां खत्म हो गई हैं।

बिजनेस स्टैंडर्ड कि इस रिपोर्ट पर पत्रकार आर जगन्नाथन ने ट्वीट किया जिस पर लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया। जगन्नाथन ने ट्वीट में लिखा कि ' बेरोजगारी के इन आंकडों को बारीकी से पढ़ने की जरूरत है। बेरोजगारी का ये बढ़ा हुआ आंकड़ा दिखाता है कि अब लोग ज्यादा तेजी से काम खोज रहे हैं।..........कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, 'मोदी जी, बेरोज़गारी दर 45 साल में सबसे ज़्यादा! इसीलिये आप डेटा छिपा रहे थे। इसीलिये सांख्यिकी आयोग में इस्तीफ़े हुए।' उन्होंने कहा, 'वादा था हर साल 2 करोड़ नौकरियों का, पर आपकी सरकार ने तो नौकरियाँ ख़त्म करने का रिकॉर्ड बना दिया।'

सुरजेवाला ने कहा, 'देश को नहीं चाहिये, युवाओं के भविष्य से खेलने वाली ऐसी भाजपा सरकार।' उन्होंने जो खबर शेयर की है उसमें दिए गए एनएसएसओ के आंकड़ों के मुताबिक 2017-18 में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी रही जो पिछले 45 वर्षों के दौरान उच्चतम स्तर है।एक ट्वीटर यूजर ने एक चश्मा भेजा और कहा कि अब नंबरों को पढ़िए

रोशन राय नाम के यूजरर ने लिखा कि हां, ज्यादा भूखे लोगों का मतलब है कि ज्यादा खाने पर ज्यादा लोगों की निगाह है। 

एक यूजर ने लिखा कि ज्यादा गरीबी यह दिखाती है कि अब ज्यादा लोग पैसों के इंतेजार में हैं।एक यूजर ने ट्वीट किया कि ठंड ज्यादा नहीं है, उम्र बढ़ रही है।

बारीकियों को समझने की जरूरत है। मैनें अपना घर नहीं छोड़ा जब मेरा घर जल रहा था। मैं गर्मी महसूस कर रहा था और खुश हो रहा था कि यह जल रहा है। 

वाह, बेरोजगार का मतलब कि लोग रोजगार खोज रहे हैं, हां बिल्कुल, आप घुमाने की कोशिश कर रहे हैं। 

टॅग्स :बेरोजगारीसरकारी नौकरी
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