सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने बुधवार को इंदिरा गांधी की बरसी पर बयान देकर चर्चा में हैं। जस्टिस मार्कंडेय काटजू आमतौर पर अपने कटु और आलोचनात्मक बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर दिया गया ऐसा ही एक बयान सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है।
अपने एक ट्वीट में जस्टिस काटजू ने लिखा, "आज इंदिरा गांधी की बारसी है। लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। लेकिन मुझे खेद है, मैं ऐसा नहीं कर पा रहा हूं। वह एक शक्ति की भूखी महिला थीं, जिसने देश में गैरजरूरी आपातकाल लगा दिया। महज अपनी कुर्सी बचाने के लिए। इससे भारी नुकसान हुए। बहुत जोर देकर अच्छाइयां ढूंढ़ने की कोशिश हो, तब भी कुछ नहीं है। उनके गले के नीचे उनका बेटा संजय भारतीय लोगों को परेशान करता रहा।"
इसके बाद सोशल मीडिया में उनकी जमकर तारीफ करने वाले आ गए। उनके इस ट्वीट के जवाब में आए ज्यादातर ट्वीट में ऐसा कहा जा रहा है कि अब जस्टिस काटजू के विचारों में परिवर्तन आया है। पहले उनकी बातों को लेकर सोशल मीडिया में जबरदस्त असहमतियां थीं।
हालांकि इस ट्वीट के बाद भी कई लोग उनसे 1971 में हुई लड़ाई में इंदिरा गांधी के योगदान के बारे में उनसे पूछ रहे हैं।
जस्टिस काटजू के इस बयान के जवाब में एक बेहद अनोखा ट्वीट आया। उसमें एक यूजर ने कहा कि #MeToo की तर्ज पर ही सोशल मीडिया में एक आंदोलन शुरू होना चाहिए, जिसमें इंदिरा गांधी की इमेंरजेंसी से हुई परेशानियों के बारे में लोगों को लिखना चाहिए।
इस बाबत उन्होंने अपनी एक स्टोरी लिखी भी। यूजर ने लिखा- इस संक्रमण की वेला मे खरा एक इँसान जो सच को सच कहता है। मेरे पिताजी भी 19 महीने जेल मे इसी महिला के सत्ता भुख के कारण 1975 मे रहे।