अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चांद की सतह पर इस साल सितंबर में दुर्घटनाग्रस्त हुए चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर के मलबे को खोज निकाला है। नासा ने अपने 'लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर कैमरा' से ली गईं उस क्षेत्र की 'हाई रेजोल्यूशन' तस्वीरें जारी कर आज सुबह (3 दिसंबर) को बताया कि चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर मिल गया है। नासा ने जो तस्वीर जारी की है, उसमें विक्रम लैंडर से प्रभावित जगह नजर आ रही है। तस्वीरों में नीले और हरे रंग के बिन्दू से विक्रम लैंडर के मलबे वाला क्षेत्र दिखाया गया है। नासा के इस बयान के सामने आते ही ट्विटर पर फिर से #Chandrayaan2, #VikramLander, #NASA टॉप ट्रेंड में आ गया है।
नासा के द्वारा जारी बयान में यह बताया गया है कि शनमुगा सुब्रमण्यन जो कि एक भारतीय प्रोग्रामर हैं, उन्होंने मलबे से जुड़े सबूत एजेंसी को दिए थे। इसके बाद ही नासा ने लैंडर की खोज की। चेन्नई के रहने वाले सुब्रमण्यम कंप्यूटर प्रोग्रामर और मैकेनिकल इंजीनियर हैं। हैशटैग #Chandrayaan2 के साथ लोग भारतीय प्रोग्रामर सुब्रमण्यन की तारीफ कर रहे हैं।
इस ट्रेंड के साथ लोग नासा द्वारा जारी की गई तस्वीर को लोग शेयर कर रहे हैं। वहीं एक वैरिफाइड यूजर शिव कुमार (पत्रकार) ने दावा किया है कि नासा को एक भारतीय युवक ने चांद की सतह पर विक्रम लैंडर के मलबे को खोज निकालने में मदद की है। वह भारत के चेन्नई का रहने वाला है।
वहीं एक वैरिफाइड यूजर ने लिखा है, यह उन लोगों के लिए एक अच्छा उदारहण है, जो रहस्यों को सुलझाने के लिए इंटरनेट पर कई वेबसाइट को छानते हैं। एक भारतीय प्रोग्रामर ने नासा को अपने खाली समय में भारत के खोए हुए विक्रम चंद्र लैंडर को खोजने में मदद की है।
विक्रम लैंडर को लेकर केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिहं ने भी ट्वीट किया है।
नासा ने क्या कहा अपने बयान में यहां पढ़ें पूरी डिटेल
नासा ने भारत के विक्रम लैंडर का पता चलने का दावा करते हुए उसकी एक तस्वीर साझा की है। चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की कोशिश नाकाम रही थी और विक्रम लैंडर का लैंडिंग से चंद मिनट पहले जमीनी केंद्रों से सम्पर्क टूट गया था। नासा ने अपने ‘लूनर रिकॉनसन्स ऑर्बिटर’ (एलआरओ) से ली गई तस्वीर में अंतरिक्ष यान से प्रभावित स्थल को और उस स्थान को दिखाया है जहां मलबा हो सकता है।
लैंडर के हिस्से कई किलोमीटर तक लगभग दो दर्जन स्थानों पर बिखरे हुए हैं। नासा ने एक बयान में कहा कि उसने स्थल की तस्वीर 26 सितम्बर को साझा की और लोगों से उस तस्वीर में लैंडर के मलबे को पहचानने की अपील की। नासा ने कहा कि शनमुगा सुब्रमण्यन ने एलआरओ परियोजना से संपर्क किया और मुख्य दुर्घटनास्थल से लगभग 750 मीटर उत्तर पश्चिम में पहले टुकड़े की पहचान की। भारत का यह अभियान सफल हो जाता तो वह अमेरिका, रूस और चीन के बाद चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश बन जाता।
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