शिवसेना का कांग्रेस से साथ हाथ मिलाना सोशल मीडिया पर लोगों को रास नहीं आ रहा है। ट्विटर पर महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस और शिवसेना के साथ आने पर लोग शिवसेना की जमकर आलोचना कर रहे हैं। एक बड़ा तबका कांग्रेस के साथ शिवसेना के साथ आने को पचा नहीं पा रहा है। सोशल मीडिया पर लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर कैसे अलग-अलग विचारधारा की दो पार्टियां एक साथ आ सकती है। इस बात से खफा कई लोग ट्विटर पर शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे का वीडियो शेयर कर कह रहे हैं बाला साहेब कभी भी कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के पक्ष में नहीं थे।
सोशल मीडिया पर लोगों का यह भी कहना है कि अगर बाला साहेब जिंदा होते तो सत्ता पाने के लिए कभी कांग्रेस से हाथ ना मिलाते। बाला साहेब का एक वीडियो ट्विटर पर बहुत शेयर किया जा रहा है, जिसमें वह कांग्रेस पार्टी को लेकर अपने विचार रख रहे हैं। वीडियो में बाला साहेब सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अहमद पटेल के बारे में बोलते नजर आ रहे हैं।
वहीं कुछ यूजर का कहना है कि बाला साहेब, महाराष्ट्र शर्मिंदा है आपके सामने दुखी मन से खड़ा है। आपके आदर्शों की धज्जियां कैसे उड़ाई जा रही है।
वहीं एक यूजर ने लिखा कि अगर शिवसेना सरकार बनाना चाहती थी तो क्यों नहीं महारास्ट्रा के 288 विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा।
28 नवंबर को शाम छह बजकर 40 मिनट पर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे दादर में शिवाजी पार्क में 28 नवंबर को शाम छह बजकर 40 मिनट पर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। गठबंधन के नेताओं ने राज्यपाल को 166 विधायकों के समर्थन वाला एक पत्र सौंपा। राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को संबोधित एक पत्र में उनसे विधानसभा में बहुमत के समर्थन वाली एक ‘‘सूची’’ तीन दिसंबर तक सौंपने के लिए कहा है।
राजभवन के एक बयान के मुताबिक, राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को संबोधित एक पत्र में कहा, ‘‘मैंने देखा है कि महाराष्ट्र विकास आघाड़ी के पास 166 निर्वाचित सदस्य हैं। ’’ बयान में कहा गया है कि क्योंकि उद्धव महाराष्ट्र विधानमंडल के सदस्य नहीं हैं इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के छह महीने के भीतर सदस्य बनना होगा।
बता दें कि शनिवार (23 नवंबर) को देवेंद्र फड़नवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देवेंद्र फड़नवीस और अजित पवार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। देवेंद्र फड़नवीस ने इस्तीफे से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि अजित पवार ने अपना समर्थन वापस ले लिया है, जिसके बाद बीजेपी के पास विधायकों का समर्थन नहीं है।