कल्पना कीजिए, आप एक चाय की दुकान पर पहुंचे और वहां दुकानदार हथकड़ी पहने मिले, दीवारों पर वरमाला और सेहरा टंगे हों, और बोर्ड पर लिखा हो—"जब तक नहीं मिलता न्याय, तब तक उबलती रहेगी चाय!" यह कोई फिल्मी सीन नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के नीमच जिले के अठाना गांव के कृष्ण कुमार धाकड़ की सच्ची कहानी है, जो अपने अनोखे अंदाज में न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं।
कृष्ण कुमार धाकड़ कभी यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे, लेकिन किस्मत ने ऐसी करवट ली कि अब वे हथकड़ी पहनकर '498A टी कैफे' नाम से चाय की दुकान चला रहे हैं। उनकी दुकान पर हर चीज़ में एक संदेश छुपा है—वरमाला, सेहरा, और दीवारों पर चस्पा नारे, जैसे "आओ चाय पर करें चर्चा, 125 में कितना देना पड़ेगा खर्चा!" हर कप चाय के साथ वे अपने दर्द और न्याय की उम्मीद भी परोसते हैं।
कैसे शुरू हुई ये अनोखी जंग?
2018 में शादी के बाद कृष्ण कुमार ने पत्नी के साथ मिलकर मधुमक्खी पालन का बिजनेस शुरू किया। कारोबार खूब चला, लेकिन 2022 में पत्नी के मायके चले जाने और फिर घरेलू हिंसा व दहेज प्रताड़ना के केस (धारा 498A और 125) ने उनकी जिंदगी बदल दी। व्यापार ठप हो गया, और कृष्ण कुमार को लगा कि उनकी आवाज़ कहीं सुनाई नहीं दे रही। इसीलिए, उन्होंने अपने ससुराल(अंता जिला बारां,राजस्थान) के इलाके में ही चाय की दुकान खोल दी—एक अनोखा विरोध, एक अनोखी गुहार! दुकान ही बनी आंदोलन का मंच
'498A टी कैफे' अब सिर्फ चाय की दुकान नहीं, बल्कि कृष्ण कुमार के संघर्ष की पहचान बन गई है। वे कहते हैं, "जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक चाय उबलती रहेगी!" उनकी दुकान पर आने वाले लोग न सिर्फ चाय पीते हैं, बल्कि उनके दर्द और जज्बे को भी महसूस करते हैं। कई लोग उनके समर्थन में भी सामने आए हैं।कृष्ण कुमार धाकड़ की '498A टी कैफे' न सिर्फ एक दुकान है, बल्कि यह उस आम आदमी की आवाज़ है, जो न्याय के लिए अनोखे और रचनात्मक तरीके से अपनी लड़ाई लड़ रहा है। उनकी चाय में सिर्फ स्वाद ही नहीं, बल्कि एक कहानी, एक दर्द, और न्याय की उम्मीद भी घुली है।