Viral Video: सोशल मीडिया पर एक वीडिया वायरल हो रहा है जिसमें एक ऑटो चालक और पैसेंजर के बीच कथित तौर पर भाषा को लेकर तीखी बहस होते दिखाई दे रही है। वीडियो को एक ट्विटर यूजर द्वारा अपलोड किया गया है और इस ट्वीट को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग किया गया है।
वीडियो को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि इस दौरान ऑटो चालक ने उत्तर भारतीयों के लिए 'भिखारी' शब्द का भी इस्तेमाल किया है। ऐसे में जब से यह वीडियो अपलोड किया गया है, इसे लाखों लोगों ने देखा है और इस पर उनकी अलग-अलग प्रतिक्रिया सामने आ रही है।
क्या दिखा वीडियो में
वायरल हो रहे इस वीडियो में ऑटो चालक और उसमें बैठी एक महिला पैसेंजर के बीच कहासुनी होते देखी जा रही है। वीडियो को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि महिला यात्री द्वारा कन्नड़ भाषा में बात नहीं करने पर यह बहस शुरु हुई है।
ऐसे में ऑटो चालक को यह कहते हुए सनुा गया है कि यह कर्नाटक है और आपको कन्नड़ बोलनी होगी...मैं हिंदी क्यों बोलूं। इसका जवाब देते हुए महिला ने कहा है कि "नहीं मैं कन्नड़ में बात नहीं करूंगी" और फिर महिला ने ऑटो चालक से सवाल पूछते हुए कहा कि "मैं कन्नड़ में क्यों बात करूं।"
इस पर बोलते हुए ऑटो चालक कहता है कि "तुन उत्तर भारतीय हो....और यह हमारी जमीन है....आपको कन्नड़ बोलनी होगी और मैं हिंदी क्यों बोलूं..." इसके बाद महिला शांत होते हुए दिखाई दे रही है और ऑटो चालक के हर बात का "ओके..ओके" कह कर जवाब दे रही है।
क्या है पूरा मामला
इस वीडियो को @anonymous_7461 नामक ट्विट यूजर द्वारा अपलोड किया गया है। वीडियो के कैप्शन में लिखा हुआ है, उत्तर भारतीय-भिखारी, हमारी जमीन... ये शब्द इस ऑटो वाले ने इस्तेमाल किए हैं और ये सिर्फ इस ड्राइवर की नहीं बल्कि यहां के सभी लोगों की मानसिकता है। कर्नाटक से होने पर गर्व करना और इसका गौरव दूसरों को कन्नड़ बोलने के लिए मजबूर करना...ये पूरी तरह से अलग है।
वीडियो को अब तक नौ हजार के करीब व्यूज मिल चुके है और इस ट्वीट को करीब 25 हजार व्यूज मिल चुके है। ऐसे में ट्वीट पर अपनी राय देते हुए एक यूजर ने लिखा-मुझे इस ऑटो वाले से प्यार है। उन्हें हिंदी में क्यों बोलना चाहिए? अगर वे लखनऊ आएं और कन्नड़ में बोलें तो क्या वे इसे स्वीकार करेंगे? हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है।
वहीं एक और यूजर ने लिखा है कि दोनों बहुत अच्छी अंग्रेजी बोलते हैं। फिर दरार क्यों? किसी पर कोई भाषा थोपने की जरूरत नहीं है। क्षेत्रीय भाषाओं में सहज नहीं होने पर सभी को अंग्रेजी जैसी सामान्य भाषा सीखनी चाहिए।